सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा- PM मोदी की निंदा वाले पोस्टर पर दर्ज हुईं FIR के मामलों की दें जानकारी
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को एक याचिकाकर्ता से कहा कि वह कोरोना वैक्सीनेशन अभियान (Corona Vaccination) के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बारे में कथित तौर पर निंदात्मक पोस्टर लगाने के कारण गिरफ्तार लोगों और ऐसे मामलों के बारे में शीर्ष न्यायालय को जानकारी दे.
कोर्ट ने कहा कि वह पुलिस को केंद्र की टीकाकरण नीति की आलोचना करने वाले पोस्टर लगाने पर प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के संबंध में व्यापक आदेश नहीं दे सकता है. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने याचिकाकर्ता प्रदीप कुमार यादव को ऐसे मामलों की जानकारी जुटाने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया और कहा कि अखबारों की खबरों पर निर्भर रहने के बजाए उन्हें इस संबंध में जानकारी स्वयं एकत्रित करनी चाहिए थी.
यादव ने कहा कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और लक्षद्वीप में ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं और पुलिस को ऐसे मामलों में प्राथमिकी की प्रति याचिकाकर्ता को देने का निर्देश दिया जाए. इस पर पीठ ने कहा, ''अखबार हम भी पढ़ते हैं. लक्षद्वीप का विवाद कुछ अलग था. उसमें महिला को केरल हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है. इस मामले में उस विवाद को लाने की जरूरत नहीं है. दिल्ली और अन्य स्थानों पर कौन से मामले दर्ज हुए हैं, आप उनके बारे में बताएं.''
सुनवाई अगले हफ्ते के लिए स्थगित
कोर्ट ने पुलिस के लिए निर्देश जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह उन्हें नोटिस जारी करने के समान होगा. इसके साथ ही न्यायालय ने मामले को अगले हफ्ते सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोविड टीकाकरण के सिलसिले में कथित तौर पर मोदी की आलोचना करने वाले पोस्टर लगाने के कारण दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकियों को रद्द किया जाए.
याचिका में कहा गया कि 19 वर्षीय युवक, 30 वर्षीय ई-रिक्शा चालक और 61 वर्षीय कारीगर समेत 25 लोगों को दिल्ली पुलिस ने टीकाकरण अभियान के सिलसिले में कथित तौर पर प्रधानमंत्री के निंदात्मक पोस्टर लगाने के लिए गिरफ्तार किया है.