मौत की सजा से बचाव की गुहार, 40 याचिकाओं पर सुनवाई करेगा सर्वोच्च अदालत

Update: 2021-09-06 08:42 GMT

सुप्रीम कोर्ट और देश के विभिन्न हाईकोर्ट से मौत की सजा मिलने के बाद बचाव की गुहार लगाने पहुंचे 40 मामलों पर उच्चतम न्यायालय मंगलवार से सुनवाई करेगा. लॉकडाउन के दौरान ये मामले लंबित पड़े थे. अब सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच इनपर एक साथ सुनवाई करेगी.

इन 40 मामलों में सुप्रीम कोर्ट से ही मौत की सजा के आदेश के खिलाफ चार पुनर्विचार याचिकाएं भी शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में दर्ज रिकॉर्ड के मुताबिक फांसी की सजा के फैसले को चुनौती देने वाली इन 40 याचिकाओं में से 14 मामले मध्यप्रदेश के हैं.
वहीं, इन 40 मामलों में से 5 महाराष्ट्र के भी हैं. जबकि दो मामले उत्तराखंड से हैं. दिल्ली से एक मामला लश्कर ए तैयबा से जुड़े आतंकी अशफाक उर्फ आरिफ का है. इसे लालकिले पर हमले का मुख्य दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई गई है. इसे 2005 में फांसी की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद से 16 साल निचली अदालतों के आदेश को चुनौती देने में निकल गए.
इन याचिकाओं में से एक याचिका झारखंड के मोफिल खान की भी है. मोफिल को अपने 6 भाइयों और भतीजों की काटकर हत्या करने के मामले में दोषी पाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में उसकी याचिका खारिज कर दी थी. लेकिन उसने अब पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.
इसमें से एक याचिका मध्य प्रदेश के रेप और हत्या के आरोपी अनोखी लाल की है. अनोखी लाल को निचली अदालत ने सिर्फ 13 दिन के ट्रायल के बाद मौत की सजा सुना दी थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा पर रोक लगाकर दोबारा ट्रायल करने का आदेश दिया. अब इस मामले में SC में सुनवाई होगी.
इन याचिकाओं में महाराष्ट्र के ऐसे युवक की भी याचिका है, जिसे गर्भवती समेत 5 महिलाओं की हत्या का दोषी पाया गया था. हत्या के वक्त वह नाबालिग था. सुप्रीम कोर्ट ने सन 2000 में उसकी याचिका खारिज कर दी थी. 21 साल से यह मामला लटका हुआ है. आरोपी ने 15 साल पहले पुर्नविचार याचिका दाखिल की थी. घटना के बाद जब आरोपी की हड्डियों की जांच हुई थी, इसमें वह 13 साल का पाया गया था. 
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