सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'देश में कहीं रहने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता'

सुप्रीम कोर्ट

Update: 2021-08-28 18:01 GMT

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति को देश में कहीं भी रहने या स्वतंत्र रूप से घूमने के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने यह टिप्पणी महाराष्ट्र के अमरावती शहर में जिला अधिकारियों द्वारा एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता के खिलाफ जारी जिलाबदर आदेश को रद करते हुए की। जिला बदर आदेश में किसी व्यक्ति की कुछ स्थानों पर आवाजाही पर रोक लगाई जा सकती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए केवल असाधारण मामलों में ही आवाजाही पर कड़ी रोक लगानी चाहिए।

अमरावती शहर के पुलिस उपायुक्त जोन-1 ने महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, 1951 की धारा 56 (1) (ए) (बी) के तहत पत्रकार रहमत खान को अमरावती शहर या अमरावती ग्रामीण जिले में एक साल तक आवाजाही नहीं करने का निर्देश दिया था।
खान ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन देकर जोहा एजुकेशन एंड चैरिटेबल वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा संचालित प्रियदर्शिनी उर्दू प्राइमरी एंड प्री-सेकेंडरी स्कूल और मद्रासी बाबा एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संचालित अल हरम इंटरनेशनल इंग्लिश स्कूल समेत विभिन्न मदरसों को प्रतिपूर्ति किए गए कोष में हुई कथित अनियमितताओं के बारे में जानकारी मांगी थी। खान ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई इसलिए की गई, क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग को समाप्त करने और अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए कदम उठाया था।


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