यूपीएससी सिविल सेवा 2020 परीक्षा परिणाम रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
UPSC Supreme Court news in hindi: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा परिणाम रद्द करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है. याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2020 के परिणाम को रद्द करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लगाई गई थी. याचिकाकर्ता नीतिश शंकर ने याचिका में कहा था कि सिविल सर्विसेस एग्जाम 2020 की फाइनल सेलेक्शन लिस्ट (UPSC Civil Services) खारिज की जाए, क्योंकि इसमें 50 फीसदी आरक्षण कैप का उल्लंघन किया गया है. शुक्रवार, 21 जनवरी 2022 को जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच के समक्ष यह याचिका प्रस्तुत की गई. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. बेंच ने यूपीएससी रिजल्ट रद्द करने की मांग करने वाली यह याचिका खारिज करते हुए जुर्माना भी लगाया. जानें क्या था मामला और सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 का अंतिम परिणाम (फाइनल सेलेक्शन लिस्ट) 24 सितंबर 2021 को जारी किया गया था. इसी परिणाम को रद्द करने की मांग की जा रही थी.
कोर्ट ने लगाई फटकार, 1 लाख का जुर्माना भी
सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. साथ ही याचिकाकर्ता को इस मांग के लिए फटकार भी लगाई. जस्टिस राव ने कहा कि 'आपको अपनी सीमा भी समझनी चाहिए. आप तीन बार एक ही चीज का रेफरेंस दे चुके हैं. हमने आपको सुना. हमें कोई तर्क नहीं लगता. अगर हम इस सुनवाई को जारी भी रखते हैं तो क्या करेंगे? सुनवाई का अधिकार भी कुछ प्रतिबंधों के साथ आता है.'
कोर्ट ने डांट लगाते हुए कहा कि 'आप चाहते हैं कि हम सिविल सेवा का एक भी पद न भरने का निर्देश दें. लोगों को इस तरह की याचिका दायर करने और इसके लिए इस कोर्ट में आने की सलाह न दें. अगर आपको ऐसी कोई परेशानी है, तो आप हाईकोर्ट जाएं.'
क्या है मामला
याचिकाकर्ता नीतिश शंकर वर्ष 2020 की सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुए थे. नीतिश का कहना है कि सिविल सेवा में आर्थिक कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस कोटा (UPSC EWS Quota) लागू होने से आरक्षण 60 फीसदी हो चुका है. सामान्य वर्ग के लिए सिर्फ 40 फीसदी सीटें ही बची हैं. यह 50 फीसदी रिजर्वेशन कैप की सीमा का उल्लंघन करता है.
कोर्ट ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के 103वें संशोधन के अनुसार लागू किया गया है. इसकी वैधता का मामला फिलहाल बड़ी बेंच के पास है.