सुप्रीम कोर्ट ने PCI को दिया आदेश, कहा- टोक्यो पैरालंपिक के लिए निशानेबाज नरेश शर्मा को भारतीय दल में किया जाए शामिल
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पैरालंपियन निशानेबाज नरेश कुमार शर्मा को टोक्यो पैरालंपिक के लिए भारतीय दल में तत्काल शामिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि नरेश कुमार शर्मा का नाम एडिशनल खिलाड़ी के तौर पर भेजा जाए. शर्मा ने पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया (PCI) के फैसले को चुनौती दी थी. उन्होंने कहा था कि PCI की चयन प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं थी और समिति याचिकाकर्ता के प्रति पक्षपाती रवैया रखती है.
सुप्रीम कोर्ट ने नरेश कुमार का नाम पैरालंपिक्स में भेजने की कम्प्लांयंस रिपोर्ट मंगलवार तक दाखिल करने को कहा है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि पैरालंपिक के लिए नाम भेजने में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है, नाम पैरा ओलंपिक कमेटी भेजती है. सुनवाई में पैरालंपिक कमेटी की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ.
इससे पहले सोमवार को नरेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था. निशानेबाज की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने बेंच से कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई में देरी से खेलों के लिए भारतीय दल में शामिल किए जाने से जुड़ी उनकी याचिका का कोई मतलब नहीं रहेगा, क्योंकि टोक्यो पैरालंपिक्स में शूटिंग प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने के लिए चयन की आखिरी तारीख 2 अगस्त है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 6 अगस्त को तय की थी सुनवाई की तारीख
पैरालिंपियन निशानेबाज ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें टोक्यो खेलों के लिए उनका चयन नहीं करने के खिलाफ याचिका पर उसने सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख तय की थी. शर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि PCI को 'R7 स्पर्धा' के लिए चयनित निशानेबाजों की सूची में उनके नाम को शामिल करने का निर्देश जारी करे. इस पर हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर 6 अगस्त को सुनवाई के लिए लगाया था.
शर्मा ने अपने नाम की अनदेखी करने का आरोप लगाया
दिल्ली कोर्ट में दाखिल अपील में कहा गया था कि टोक्यो पैरालंपिक 24 अगस्त से शुरू होने वाले हैं और इसलिए, पीसीआई को अभी भी एक निर्देश दिया जा सकता है कि शर्मा का नाम आर7 निशानेबाजी खेल में भाग लेने के लिए भेजा जाए. नरेश कुमार शर्मा पांच बार पैरालम्पिक खेलों में भाग ले चुके हैं.
अर्जुन पुरस्कार विजेता शर्मा ने आरोप लगाया था कि उन्होंने सभी पात्रता मानदंड और न्यूनतम क्वालीफाइंग स्कोर हासिल किए लेकिन इसके बाद भी चयन पैनल, भारतीय पैरालंपिक समिति ने जानबूझकर और मनमाने ढंग से पैरालंपिक के लिए उनके नाम की अनदेखी की.