आत्महत्या केस में सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कर दी अहम टिप्पणी
मानव मन एक पहेली है और असंख्य वजहों से कोई महिला या पुरुष आत्महत्या कर सकते हैं. कोर्ट 24 साल पुराने एक आत्महत्या के मामले में सुनवाई कर रही थी.
नई दिल्ली: आत्महत्या के एक मामले में सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टिप्पणी करते हुए कहा कि, मानव मन एक पहेली है और असंख्य वजहों से कोई महिला या पुरुष आत्महत्या कर सकते हैं. कोर्ट 24 साल पुराने एक आत्महत्या के मामले में सुनवाई कर रही थी. इसे लेकर एक व्यक्ति पर आरोप लगा था कि, उसने पीड़िता को उकसाकर, उसका उत्पीड़न कर आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया था हालांकि कोर्ट ने अपनी टिप्पणी के साथ 24 साल पहले अपनी मकान मालकिन का उत्पीड़न करके आत्महत्या करने को मजबूर करने के आरोपित को बरी कर दिया.
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि ऐसा हमेशा नहीं हो सकता कि कोई व्यक्ति आत्महत्या करे और उन परिस्थितियों में फंसे व्यक्ति का उससे कुछ लेना-देना हो. इस मामले में आत्महत्या के लिए शैक्षणिक नतीजों में निराशा, कॉलेज के माहौल में दमन, खासकर छात्रों को दरकिनार किया जाना या फिर नौकरी न मिलना या वित्तीय संकट आत्महत्या की वजह कुछ भी हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,'मानव मन एक पहेली है और मन के रहस्य को सामने ला पाना या उसे समझ पाना लगभग असंभव है. किसी पुरुष या महिला के लिए आत्महत्या करने या आत्महत्या करने का प्रयास करने के असंख्य कारण हो सकते हैं. हो सकता है कि शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने में आप असफल रहें, कॉलेज या हॉस्टल का माहौल, प्रेम विवाह, अवसाद या निराशा, या फिर पुरानी कोई बीमारी भी आत्महत्या की वजह बन सकती है.'
इस मामले में पीड़िता के यहां पहले किराए पर रहने वाले एक शख्स ने अपनी मकान मालकिन उस समय विवाह का प्रस्ताव दिया जब वह अपने बहन के बच्चे को स्कूल छोड़कर लौट रही थी. युवती के मना करने पर उसने उसकी बहन के परिवार को तबाह करने की धमकी दी. युवक ने उसे धमकाया कि अगर वह उससे शादी करने के लिए राजी नहीं हुई तो वह उसकी बहन के परिवार को तबाह कर देगा, उनकी बेइज्जती करेगा और उन्हें मार डालेगा.
घर पहुंचने पर महिला ने अपनी बहन को फोन पर घटना की जानकारी दी, इसके बाद उसने जहर खा लिया था. महिला को अस्पताल ले जाया गया, जहां छह जुलाई 2000 को उसकी मौत हो गई. शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिसके आधार पर वह अपीलकर्ता को मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहरा सके. अदालत ने कहा, एक महिला की मौत निश्चित रूप से बेहद दुखद है, लेकिन यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि आत्महत्या के लिए उकसाने की बात साबित हो गई है. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपीलकर्ता के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप साबित करने में विफल रहा है.