सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण रिटायर, आज ही मां ने दुनिया को कहा अलविदा, दिया ये ऐतिसाहिक फैसला
कई ऐतिहासिक फैसलों को देने वाली पीठ में शामिल रहे जस्टिस अशोक भूषण बुधवार को एक और एतिहासिक फैसला देकर रिटायर हो गए. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जस्टिस अशोक भूषण ने ही कोविड में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को आर्थिक मदद देने का आदेश सरकार को दिया.
वैसे तो जस्टिस अशोक भूषण चार जुलाई को रिटायर होंगे. लेकिन वह आज ही छुट्टी पर चले गए हैं यानी आज ही उनका आखिरी कार्यदिवस था. दरअसल, आज सुबह ही जस्टिस भूषण की मां का देहांत हो गया, इसलिए वो उनके अंतिम संस्कार के लिए चले गए हैं.
अब जस्टिस अशोक भूषण अपने रिटायरमेंट के दिन कोर्ट नहीं आएंगे. उनका अंतिम कार्यदिवस आज यानी बुधवार को ही मनाया गया. यहां चीफ जस्टिस और कोर्ट की सुनवाई में मौजूद अन्य जजों, न्यायिक अधिकारियों और वकीलों ने उनको विदाई दी. चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि जस्टिस भूषण को उनके कई ऐतिहासिक फैसले देने और कई फैसलों में उनके योगदान को याद रखा जाएगा.
चीफ जस्टिस बोले, 'आज ही दिया गया कोविड पीड़ितों के आश्रितों को आर्थिक सहायता का फैसला हो या अयोध्या विवाद में दिया गया पांच जजों की विशेष पीठ का फैसला, आधार कार्ड पर विवाद हो या कोविड संकट के दौरान प्रवासी मजदूरों का मामला. जस्टिस भूषण ने हर मामले में अपनी न्यायिक समझ और सूझबूझ का प्रदर्शन किया.'
जस्टिस रमणा ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में आकर खुद को धन्य समझते हैं जहां एक से एक धुरंधर जज सेवा कर चुके हैं. वह बोले, 'मैं उनके मुकाबले खुद को काफी तुच्छ समझता हूं. जस्टिस भूषण ने भी जितना स्नेह, अपनापन और सलाह सबको दी वो अनमोल है.'
पांच जुलाई 1956 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जन्मे अशोक भूषण ने 24 अप्रैल 2001 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के स्थाई जज के रूप में काम संभाला. केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहने के बाद 13 मई 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ ली. जज के रूप में जस्टिस भूषण ने दो दशक से ज्यादा समय तक न्यायिक आदेश और फैसले दिए. एक से एक पेचीदा मसलों पर सुनवाई की और फैसलों में वैल्यू एड किया.
कई चीफ जस्टिस ने उनके संविधान से जुड़े मसलों पर ज्ञान, सूझ और तर्कों की प्रशंसा की है. जस्टिस रमणा ने कहा कि जज अपने फैसलों की वजह से ही याद किए जाते हैं. जस्टिस भूषण ने कई यादगार फैसले दिए हैं जिनका हवाला सदियों तक न्यायिक जगत में दिया जाता रहेगा.