रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने कहा कि जब कोई विधेय अपराध (प्रेडिकेट ऑफेंस) नहीं हुआ, अपराध से कोई आय नहीं हुई तो ये मनी लॉन्ड्रिंग नहीं है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि क्यों न मनी लॉन्ड्रिंग का केस रद्द कर दिया जाए। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुईयां की डबल बेंच शुक्रवार को रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा सहित अन्य 6 आरोपियों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। ED के अनुरोध पर मामले की अगली सुनवाई अब 8 अप्रैल को होगी।
सुनवाई के दौरान ED की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू से जस्टिस एएस ओका ने कहा कि अगर कोई अपराध नहीं है, अपराध से कोई आय नहीं है। इसलिए ये मनी लॉन्ड्रिंग नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा, शिकायत पर विचार नहीं किया जा सकता, क्योंकि कोई विधेय अपराध नहीं है। इस पर सालिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ नया विधेय अपराध दर्ज किया गया है, जिसके आधार पर ED ने एक ECIR (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दायर की जाएगी। ASG ने कहा कि, स्थगन के कारण नहीं शिकायत नहीं दर्ज हो सकी।
कोर्ट ने ED को बयान दर्ज करने के लिए कहा है। इसे लेकर ASG ने समय मांगा, जिसके बाद ED को 4 दिन का समय दिया गया है। टुटेजा पिता-पुत्र के साथ ही इसमें करिश्मा ढेबर, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया ने सह याचिकाकर्ता हैं। अनिल टुटेजा और यश टुटेजा की गिरफ्तारी पर करीब 11 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं ने ED की कार्रवाई को गलत बताया था। कहा था कि, जिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई करना चाह रही है, उसमें कोई ठोस बेस नहीं है। यानी ईडी ने यह नहीं बताया कि टुटेजा ने कैसे अवैध धन का उपार्जन किया और कैसे इसकी मनी लॉन्ड्रिंग की।
शराब और कोयला घोटाला मामले में ED ने दो पूर्व मंत्रियों, विधायकों समेत 100 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कराई है। इनमें कांग्रेस सरकार में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व विधायक यूडी मिंज, गुलाब कमरो का नाम शामिल है। इसके साथ ही शिशुपाल के साथ ही 2 निलंबित IAS, रिटायर्ड IAS अफसर और कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल समेत अन्य के नेताओं के नाम शामिल है, जिसमें पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा व उनके बेटे यश टूटेजा को भी आरोपी बनाया गया है। इस कार्रवाई के खिलाफ उन्होंने अपने एडवोकेट के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।