दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें HC ने एक कैदी को फैमिली प्लानिंग के लिए 15 दिनों की पैरोल देने का फैसला सुनाया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की कि ऐसी व्यवस्था से काफी असहज स्थिति बन सकती है. दरअसल दोषी राहुल पॉक्सो, रेप और अपहरण के तहत उम्रकैद की सजा काट रहा है. उसने परिवार में वृद्धि के लिए पैरोल देने के लिए अर्जी लगाई थी, जिसे राजस्थान हाई कोर्ट ने स्वीकार कर राज्य सरकार की आपत्ति के बावजूद परोल पर रिहा करने का आदेश दिया था. इसके बाद राजस्थान सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
उम्रकैद की सजा काट रहे 34 साल के व्यक्ति की पत्नी ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी. महिला ने अपनी याचिका में कहा था, 'मुझे परिवार बनाने के लिए बच्चा चाहिए. इसलिए पति को कुछ दिनों के लिए पैरोल पर छोड़ें.'
इस पर राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिका दायर करने वाली महिला निर्दोष है. उसे तो अदालत ने कोई दंड भी नहीं दिया है. ऐसे में उसे मातृत्व से वंचित न रखा जाए. वंश संरक्षण के उद्देश्य से विविध धार्मिक ग्रंथ, साथ ही न्यायिक निर्णयों में भी संतानोत्पत्ति को महत्व दिया गया है. कोर्ट ने कहा था कि विवाहित महिला की मां बनने की इच्छा है, तो यह इच्छा पूर्ण करना राज्य व्यवस्था का दायित्व है. संतान होने के चलते कैदी पर इसका सकारात्मक असर भी दिख सकता है. सजा पूरी कर बाहर आने के बाद वह मुख्यधारा में आसानी से सहभागी भी हो सकेगा.