सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से पूछा सवाल, डेथ सर्टिफिकेट पर कोरोना का जिक्र नहीं, कैसे देंगे मुआवजा?, 10 दिन में मांगा जवाब

Update: 2021-05-25 04:50 GMT

कोरोना से होने वाली मौतों पर मुआवजे की मांग को लेकर दायर याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि डेथ सर्टिफिकेट पर कोविड का जिक्र ही नहीं हो रहा है, ऐसे में आप कैसे पहचानेंगे कि किस परिवार को मुआवजा मिलना चाहिए?

जस्टिस एमआर शाह ने कहा, "मैं अपने पर्सनल एक्सपीरियंस से कह रहा हूं कि जब कोई व्यक्ति कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होता है और उसकी मौत हो जाती है तो उसके डेथ सर्टिफिकेट में ये नहीं लिखा होता कि इसकी मौत कोविड की वजह से हुई है. इसमें लंग्स इंफेक्शन या हार्ट इशू बताया जाता है. उनके परिवार वालों को पता ही नहीं होता." उन्होंने कहा, "अगर डेथ सर्टिफिकेट में कोविड का जिक्र ही नहीं रहेगा तो आंकड़े भी कम दिखाए जाएंगे और लोगों को लगेगा कि सब ठीक है."
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या कोरोना से होने वाली मौतों पर मुआवजे को लेकर या डेथ सर्टिफिकेट को लेकर कोई कॉमन गाइडलाइंस हैं?
बेंच ने पूछा, "मौत का कारण सांस लेने में दिक्कत या हार्ट फेल होना बताया जा रहा है. अगर मुआवजे को लेकर योजना होगी भी तो आप लाभार्थी की पहचान कैसे करेंगे? क्या डेथ सर्टिफिकेट को लेकर कोई कॉमन पॉलिसी है? क्या डेथ सर्टिफिकेट पर ये नहीं लिखा होना चाहिए कि मौत कोविड की वजह से हुई है?"
दरअसल, गौरव बंसल और रीपक कंसल नाम के दो वकीलों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें मांग है कि जिन लोगों की मौत कोरोना से हुई है, उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाए. बहस के दौरान गौरव बंसल ने कहा कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट और 2015 में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की तरफ से एक गाइडलाइंस जारी की गई थी, जिसमें आपदा की वजह से होने वाली मौतों पर 4 लाख रुपए मुआवजा देने की बात है.
वही, रीपक कंसल की तरफ से पेश हुए वकील एसबी उपाध्याय ने कहा कि "हालांकि, मुआवजे के लिए डेथ सर्टिफिकेट में लिखा होना चाहिए कि मौत प्राकृतिक आपदा की वजह से हुई है. लेकिन भारत में ज्यादातर मामलों में डेथ सर्टिफिकेट पर मौत का कारण कोविड लिखा ही नहीं जा रहा है."
सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे को लेकर केंद्र सरकार से 10 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. साथ ही इस बात पर भी जवाब मांगा है कि क्या डेथ सर्टिफिकेट को लेकर आईसीएमआर की कोई गाइडलाइंस हैं. इस मामले में अगली सुनवाई अब 11 जून को होगी.
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