जजों की कमी से जूझ रहे हैं सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट, इतने पद खाली

Update: 2021-07-29 03:54 GMT

अन्य कारणों के अलावा देश के अलग-अलग कोर्टों में सालों से लंबित पड़े मामलों का एक बड़ा कारण न्यायालयों में जजों की कमी है. सरकार द्वारा संसद में दिए गए जवाब के मुताबिक़ देश के सुप्रीम कोर्ट में 1 मार्च 2021 तक 66,727 मामले लंबित थे. वहीं सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल स्वीकृत संख्या 34 है जिसमें से 8 पद अभी खाली हैं. सुप्रीम कोर्ट में फ़िलहाल 25 पुरूष और 1 महिला जज हैं. सभी आंकड़े 20 जुलाई तक के हैं. गौरतलब है कि ये आंकड़ा सरकार ने बुधवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में दिया है.

सरकार के जवाब के मुताबिक़ देश के सभी हाईकोर्टों को मिलाकर जजों की कुल स्वीकृत संख्या 1098 है,इनमें सबसे ज़्यादा स्वीकृत पद इलाहाबाद हाई कोर्ट में है जहां ये संख्या 160 है, जबकि सबसे कम सिक्किम हाई कोर्ट में है जहां इसकी संख्या महज 3 है. गौरतलब है कि इन स्वीकृत 1098 पदों में से देश के हाईकोर्टों में जजों के 454 पद खाली पड़े हैं.
स्वीकृत पदों की तरह खाली पड़े पदों की संख्या भी सबसे ज़्यादा इलाहाबाद हाई कोर्ट में ही है यहां जजों के कुल 66 पद खाली पड़े हैं. इसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट का नम्बर आता है जहां जजों के स्वीकृत 72 पदों में से 41 पद खाली पड़े हैं. फ़िलहाल देश के सभी हाईकोर्टों को मिलाकर जजों के 644 पद भरे हुए हैं जिनमें 567 पुरुष जबकि 77 महिला जज हैं.
वहीं बता दे कि देश के सभी 25 हाईकोर्टों में कुल मिलाकर 57 लाख से भी ज़्यादा मामले लंबित पड़े हैं जिनमें से 40 फ़ीसदी मामले 5 साल से 20 साल तक पुराने हैं. कुल लंबित मामलों में से 54 फ़ीसदी मामले केवल पांच उच्च न्यायालयों में लंबित हैं.इनमें इलाहाबाद , पंजाब और हरियाणा,मद्रास, बॉम्बे और राजस्थान हाईकोर्ट शामिल हैं.
जजों के खाली पड़े पदों की बात करें तो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में 39 (85 ) , मद्रास हाईकोर्ट में 17 ( 75 ) , बॉम्बे हाईकोर्ट में 31 ( 94 ) जबकि राजस्थान हाईकोर्ट में 27 (50) पद खाली पड़े हैं. कोष्ठक में दी गई संख्या कुल स्वीकृत पदों की संख्या है. वहीं राज्यों के अधीनस्थ न्यायालयों में भी पांच हज़ार से ज़्यादा पद खाली पड़े हैं.
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