सूफीवाद व शांति

Update: 2022-09-11 07:51 GMT

लेखक- प्रबंध संपादक पप्पू फरिश्ता 

लगभग 600 साल पहले एक सूफी संत को एक छोटे से गांव अलंद जिला कलबुर्गी कर्नाटक में एक देश को परिवार ने शरण दी व उनको अपना गुरु स्वीकार किया, उन सूफी संत को जो लाडले मशाक के नाम से स्थानीय लोगों में मशहूर हुए, की कब्र पर दरगाह बनाई जहां बड़ी संख्या में स्थानीय सभी धर्मों के लोगों ने जाना शुरू कर दिया।


सूफी संत लाडले मशाक के अलावा कलबुर्गी जिले में बहुत से सूफी संतों की दरगाह है, जिन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया है सूफीवाद अपने शांति प्रिय शिक्षा के लिए मशहूर है सूफी संतो को प्रेम, शांति ,सांप्रदायिक, सद्भावना ,मानवता, सहनशीलता व दयालुता का मसीहा माना जाता है. उनका मानवता व प्रेम का संदेश सभी वर्गों के लोगों को आकर्षित करता है सूफी संतों ने सभी लोगों के प्रति चाहे वे मुस्लिम हो या हिंदू बराबरी वह सौंदर्य का व्यवहार किया। वह सभी चीजों से ऊपर मानवता व प्रेम को रखते हैं. उन्होंने क्षमा वह पश्चाताप जैसे मूल्यों को बढ़ावा दिया। भारत जैसे देश में जहां इतनी भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृतियां का मिलन हुआ है वहां सूफी संत अपने नेक व उदार विचारों से सबसे अलग व उच्च स्थान पर नजर आते हैं. जिन्होंने हर एक संस्कृति की श्रेष्ठ मूल्यों व विचारों को आत्मसात कर उनके बीच भाईचारा व सद्भाव बढ़ाया है.


प्यू रिसर्च सेंटर ने 2019 व वर्ष 2020 में सभी धर्मों के लगभग 30000 भारतीयों का सर्वे किया। उसमें मिथक तोड़ने वाले निष्कर्ष निकले कि ज्यादातर लोगों ने जो सर्वे में शामिल हुए कहा कि वह भारत वर्ष में अपना धर्म आजादी के साथ मना सकते हैं वह उसे अपने धार्मिक रीति रिवाज को मनाने की पूरी आजादी है अलंद सूफी दरगाहों का स्थान गांव में अशांति का माहौल रहा है. जिसका कारण कुछ असामाजिक तत्व है कलबुर्गी कर्नाटक व अन्य सभी स्थानों के नागरिकों को इतिहास से सबक लेते हैं यह समझना होगा कि अशांति अप्रिय घटनाओं का सर्वे सबसे बड़ा नुकसान है सभी धर्मों के साथ आम नागरिकों को ही होता है सभी नागरिकों को यह समझना होगा कि सांप्रदायिक ताकतें आम नागरिक की आजादी व जान माल की हानि करती है व शांति, सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखना केवल सूफी संतों की ही जिम्मेदारी नहीं है यह सभी आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी है इसके लिए उन्हें सभी धर्मों के लोगों से निरंतर बातचीत व भाईचारा बना कर रखना होगा। यही हम सब के लिए समाज के लिए और देश के लिए बेहतर होगा। 





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