तिरुवनंतपुरम (आईएएनएस)| आरएसएस के समर्थन में टिप्पणी करने के बाद अनुभवी नेता के. सुधाकरन ने केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। हालांकि, नेता ने ऐसा कोई पत्र लिखे जाने से इनकार किया है।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे पत्र में, वरिष्ठ नेता ने विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन से समर्थन नहीं मिलने का हवाला देते हुए अपना पद छोड़ने की पेशकश की।
सूत्रों ने कहा कि इस्तीफा देने की इच्छा के पीछे एक और कारण है, जो उन्होंने पत्र में लिखा, वह है- उनका बिगड़ता स्वास्थ्य।
कन्नूर के बाहुबली और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली माकपा के कट्टर प्रतिद्वंद्वी सुधाकरन अपने तेज तर्रार रवैये के लिए जाने जाते हैं। पिछले कुछ दिनों में, वह अपनी ही पार्टी विशेषकर सतीसन के नेतृत्व वाले गुट से अधिक दबाव में आ गए हैं।
सोमवार को बाल दिवस के अवसर पर, सुधाकरन ने कहा कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जनसंघ के संस्थापक और आरएसएस नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर सहमति जताकर लोकतंत्र की खातिर सांप्रदायिक फासीवादियों के साथ समझौता किया था।
इसके अलावा, 9 नवंबर को, उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वामपंथी ताकतों के दबाव में आकर उनके गृह नगर-कन्नूर में आरएसएस के कार्यालयों की रक्षा की थी।
इस पर बाद में, उन्होंने सफाई के तौर पर कहा कि उनकी जुबान फिसल गई थी, लेकिन तब तक उनकी पार्टी के लोगों के दिल्ली में एआईसीसी कार्यालय को ईमेल कर दिया था।
सुधाकरन के करीबी सूत्रों ने कहा कि गांधी को पत्र लिखे हुए दो दिन हो चुके हैं और चौंकाने वाली बात यह है कि जब पार्टी के पास पूर्ण रूप से निर्वाचित अध्यक्ष है, तो सुधाकरन को गांधी को पत्र लिखने की क्या जरूरत है।
सुधाकरन ने गांधी को जो पत्र लिखा है उसका मुख्य कारण यह है कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित कांग्रेस पार्टी के सहयोगियों ने उनके बयानों पर अपना गुस्सा व्यक्त किया है।
केरल में कभी भी शीर्ष नेतृत्व एकजुट होकर नहीं चला, जैसा कि तब देखा गया जब करुणाकरन ने एंटनी, ओमन चांडी बनाम रमेश चेन्निथला के खिलाफ बगावत की और अब सुधाकरन और सतीसन एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं।