स्टूडेंट सुसाइड केस: शिक्षक को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली, कहा- परिवार के साथ पूरी संवेदना है लेकिन...जानें पूरा मामला

FIR को रद्द कर दिया है.

Update: 2024-04-06 12:51 GMT
अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने 8 साल पुराने स्टूडेंट सुसाइड के बाद शिक्षक के खिलाफ FIR को रद्द कर दिया है. पुलिस की एफआईआर के बाद टीचर ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शिक्षक को बड़ी राहत देते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि परिवार के साथ पूरी संवेदना है लेकिन निर्दोष को सजा देना उचित नहीं है.
दरअसल, मामला साल 2016 में एक छात्रा की आत्महत्या से जुड़ा हुआ था. आठ साल पहले सूरत के एक टीचर ने पढ़ाई को लेकर एक छात्रा को थप्पड़ मार दिया था. इसके बाद किसी वजह से छात्रा ने आत्महत्या कर ली. छात्रा की आत्महत्या के बाद परिजनों ने स्कूल टीचर पर आरोप लगाया कि टीचर के थप्पड़ मारने की वजह से उनकी बेटी ने आत्महत्या की है. टीचक और स्कूल ट्र्स्टी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ तो उन्होंने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी.
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि भले ही कोर्ट की सहानुभूति परिवार के साथ है, लेकिन निर्दोष को सजा देना या मुकदमा चलाना उचित नहीं है. कोर्ट ने कहा कि शिक्षक छात्र हित में कठोर कदम उठाता है. शिक्षक के लिए विद्यार्थी का हित बहुत महत्वपूर्ण है. गुजरात हाई कोर्ट ने आठ साल पुराने मामले में शिक्षकों के हित में अहम फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता शिक्षक और ट्रस्टी के खिलाफ पुलिस शिकायत को रद्द कर दिया.
बता दें कि टीचर की पटाई के बाद स्टूडेंट सुसाइड का यह एकलौता मामला नहीं है. पिछले साल (जुलाई 2023) झारखंड के धनबाद में भी ऐसा मामला सामने आया था, जिसकी काफी चर्चा भी हुई थी. धनबाद के स्कूल में पढ़ने वाली 10वीं क्लास की छात्रा ने टीचर की पिटाई के बाद फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी. जानकारी के मुताबिक छात्रा बिंदी लगाकर स्कूल गई थी. जिस पर टीचर ने कड़ा एतराज जताया और उसे स्कूल परिसर में सबके सामने थप्पड़ जड़ दिए थे. कहा गया था कि बाद में इससे आहत होकर छात्रा ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था. परिवार ने स्कूल की प्रिंसिपल व शिक्षिका पर छात्रा को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए धरना प्रदर्शन किया था, जिसके बाद पुलिस ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन देकर सड़क जाम खुलवाया था.
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