नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली में छात्र आत्महत्या की घटना के बाद छात्र संगठन खासे चिंतित हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मुताबिक बीते दो महीने के भीतर आईआईटी दिल्ली में यह छात्र आत्महत्या का दूसरा मामला है। इस घटना के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय व जेएनयू के छात्रों का भी मानना है कि देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले व शहरों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं अत्यंत दुखद है।
छात्र संगठनों ने केन्द्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों, शैक्षणिक संस्थानों में विभिन्न हितधारकों, कोचिंग संचालकों तथा समाज से यह अनुरोध किया है कि इस बड़ी समस्या के समाधान की दिशा में शीघ्रता से कदम उठाने की दिशा में अपनी भूमिका का उचित निर्वहन करें। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मुताबिक अकेले कोटा शहर में बीते 8 महीने में 23 छात्रों ने आत्महत्या की है। बीते महीनों में देश के अलग-अलग शहरों में स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी आदि संस्थानों में पढ़ाई के दबाव व अन्य कारणों से छात्रों की आत्महत्या के चिंताजनक मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने होंगे।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की मई, 2023 में पुणे में सम्पन्न हुई राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद में छात्रों के मानसिक दबाव के विषय को प्रमुखता से उठाते हुए अभाविप ने शैक्षणिक परिसरों को तनावमुक्त जीवंत शिक्षा केन्द्र के रूप विकसित करने का आह्वान किया, अभाविप की पुणे राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद में 'आनंदमय सार्थक छात्र जीवन के केन्द्र बनें परिसर' शीर्षक प्रस्ताव को पारित कर मांग की गई है कि विद्यार्थियों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए कदम उठाए जाएं।
विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, यह अत्यंत चिंताजनक व दुर्भाग्यपूर्ण है। विद्यार्थी पर विभिन्न मानसिक दबावों के कारणों की पहचान कर उचित कदम उठाने होंगे। हर विद्यार्थी की अपनी विशेषता है, यह बात अभिभावकों को समझनी होगी। उन्होंने कहा कि अभाविप मांग करती है कि सरकार, छात्र आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए शीघ्र प्रभावी कदम उठाए।