आवारा कुत्तों को मिला आधार कार्ड, क्यूआर कोड से होगी पहचान

जानिए क्या है वजह

Update: 2023-07-16 13:40 GMT
मुंबई। मुंबई महानगरपालिका ने आवारा कुत्तों के लिए एक नया अभियान शुरू किया है। इसके तहत मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 20 आवारा कुत्तों को पहचान पत्र दिए गए हैं. यह पहचान पत्र इन कुत्तों के गले में लटकाया गया है। इस पहचान पत्र में एक क्यूआर कोड होगा. इस क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद आपको इस कुत्ते के बारे में सारी जानकारी मिल जाएगी. इसमें कुत्ते का नाम, प्राप्त टीकाकरण, नसबंदी और अन्य चिकित्सा जानकारी शामिल होगी। साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि इस कुत्ते को खाना खिलाने वाला कौन है। यह अभियान मनपा और पा-फ्रेंड नामक संस्था द्वारा चलाया गया है। इसी संस्था ने कुत्तों के लिए विशेष पहचान पत्र तैयार करने का काम भी किया है।
मुंबई के सायन में रहने वाले इंजीनियर अक्षय रिडलान ने इस मुहिम की शुरुआत की है. गले में क्यूआर कोड होने से इन कुत्तों पर नजर रखना आसान होगा। इससे किसी कुत्ते के लापता होने पर उसका पता लगाना संभव हो जाएगा। पालतू जानवरों के लिए ऐसे क्यूआर कोड बनाना भी बहुत फायदेमंद है। इससे मनपा को आवारा कुत्तों के बारे में जानकारी जुटाने में भी फायदा होगा. बांद्रा में रहने वाली सोनिया शेलार हर दिन लगभग 300 आवारा कुत्तों को खाना खिलाती हैं। इसमें हवाईअड्डा क्षेत्र के कुत्ते भी शामिल हैं। इस अभियान के लिए सोनिया ने काफी मदद की है। बताया गया है कि फिलहाल पकड़े गए सभी कुत्तों की नसबंदी कर दी गई है. एयरपोर्ट के बाहर कुत्तों को दिया जाने वाला क्यूआर कोड एक पायलट प्रोजेक्ट है. इसके बाद धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों में भी ऐसी परियोजनाएं लागू की जाएंगी।
हवाई अड्डे के बाहर 20 आवारा कुत्तों को एक अनोखा क्यूआर कोड जारी किया गया है। इन क्यूआर कोड में इन कुत्तों की सारी जानकारी दी गई है ताकि इनका सही से देखभाल हो सके। बता दें कि इन क्यूआर कोड को कुत्तों के कॉलर से जोड़े गए है जिसमें कुत्ते का नाम, उसके एक फीडर का संपर्क विवरण और उनके टीकाकरण और नसबंदी की स्थिति जैसी जानकारियां भी शामिल है।
ऐसे में जैसे ही इन क्यूआर कोड को स्कैन किया जाएगा कुत्ते से जुड़ी सभी जानकारी वाले एक डेटाबेस तक पहुंचा जा सकता है। इन क्यूआर कोड को जारी करने के पीछे कई कारण है जैसे इनके खो जाने पर इसे खोजने में आसानी और इससे बीएमसी को आवारा कुत्तों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस भी तैयार करने में मदद मिल सकती है। बता दें कि इस क्यूआर कोड के टैगिंग को एक पायलट परियोजना के रूप में तैयार किया गया है और इसे लगाने के बाद बीएमसी आगे देखेगा कि इस परियोजना को आगे कैसे बढ़ाया जाएगा। यही नहीं कुत्तों में लगाए गए इस डिवाइस को 'pawfriend.in' नामक एक पहल के तहत मुंबई के सियॉन के एक इंजीनियर अक्षय रिडलान द्वारा डिजाइन किया गया है।
इस कोड को एक टीम द्वारा प्रदान किया गया है जो हर रोज इन कुतों को खिलाते है। इस प्रक्रिया के दौरान बीएमसी ने कुत्तों को टीका भी लगाया है। यह एक शानदार पहल है जो मुंबई के आवारा कुत्तों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए इसे शुरू किया गया है। हर रोज 300 आवारा कुत्तों को खाने खिलाने वाली सोनिया शेलर ने इन आवारा कुत्तों को पशु चिकित्सक से टीका लगवाया था। ऐसे में इस परियोजना से इन कुत्तों के खो जाने पर इनके मालिक से मिलवाने में भी यह कोड काम आएगा। यही नहीं इससे बीएमसी को भी इन्हें टैग करने में मदद मिलेगी।
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