अजब-गजब: मोबाइल के जरिए ही पेड़ पौधों को पानी देता है ये शख्स

Update: 2022-01-28 11:22 GMT

नई दिल्ली: आजकल बहुत से लोग जगह की समस्या के कारण रूफ गार्डनिंग कर रहे हैं. ये देखने में भी बहुत अच्छा लगता है. लेकिन बाहर काम करने वालों के लिए फसल को समय पर पानी देना एक बड़ी समस्या है. मान लीजिए आप घर पर नहीं हैं, घर के लोग दूसरे कामों में व्यस्त हैं, अब पेड़ पौधों को पानी कौन देगा, यह एक बड़ी समस्या बन जाती है.

ऐसे में पूर्व बर्दवान जिले के झापानतला इलाके में रहने वाले सनत कुमार सिंह ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर इस समस्या का समाधान निकाला है. सनत सिंह बिधानचंद्र कृषि विश्वविद्यालय की कृषि कॉलेज के बर्दवान शाखा के कर्मचारी हैं. वह दिन का ज्यादातर समय ऑफिस के काम में बिताते हैं. इस दौरान घर के अन्य लोग भी व्यस्त रहते हैं. ऐसे में रूफ गार्डनिंग की देखभाल करना एक समस्या बन जाती है, खासकर हर दिन समय पर पानी देना.
ऐसे में सनत सिंह के एक परिचित शोभराज मल्लिक ने इसका समाधान निकाला है. शोभराज इलेक्ट्रॉनिक्स और आईओटी के ऊपर काम करते है. उन्होंने मोबाइल, राउटर, सीसीटीवी कैमरा और कुछ सामानों से ऑटोमेटिक वाटर सिस्टम तैयार किया. इसकी मदद से वाईफाई और मोबाइल के जरिए दूर से ही पेड़ पौधों को पानी दिया जा सकता है.
दरअसल, सनत को पेड़ पौधों से बहुत प्यार है. लेकिन घर में बगीचा बनाने के लिए जगह नहीं थी. ऐसे में कृषि महाविद्यालय के तत्कालीन एसोसिएट डीन प्रोफेसर तपन कुमार माइती ने उन्हें रास्ता दिखाया. सनत सिंह ने कहा कि तपन के कहने के अनुसार, उन्होंने अपने घर की दो मंजिला छत पर एक सुंदर बगीचे तैयार किया.
आज तक की खबर के मुताबिक सनत के गार्डन में आलू, प्याज, अदरक, मिर्च, लहसुन के साथ मौसमी बीन्स, बैंगन, मूली, मटरशुंठी , टमाटर और बगीचे में फूलों की सजावट है. सनत ने कहा, "अदरक उगाया है. आलू भी हैं. आपकी खुद की खेती की सब्जियों का स्वाद ही अलग होता है."
उन्होंने आगे कहा कि इस उद्यान को सुंदर बनाने के लिए कृषि महाविद्यालय के सभी शिक्षकों ने उन्हें बहुमूल्य सुझाव दिए. मिट्टी कैसे बनाएं, क्या सार डालें, पेड़ों को कीड़ों और मकड़ियों से कैसे बचाएं. बंदरों से अपने बगीचे को बचाने के लिए उन्होंने पूरा बगीचा लोहे के जाल से घेरा है.
रूफ गार्डन से पानी और मिट्टी जमा होने से छत को नुकसान होने की संभावना रहती है. उन्होंने इसके लिए उपाय भी अपनाया है. सनत सिंह ने कहा, सबसे पहले छत को वाटर प्रोटेक्ट (जल छत) बनाया गया है. फिर पेड़ के टब रखने के लिए लोहे की स्टेप बनाईं गई है . नीचे फर्श पर गैप (अंतर छोड़) रखा गया है ताकि पानी जम न जाए.
आजकल लोगों के पास समय कम है व्यस्त जीवन पेड़ को पानी देने का समय कहां है? सनत ने एक दोस्त के साथ वाई-फाई तकनीक और राउटर का उपयोग करके पेड़ को सींचा. राउटर की चक्रबात मोटर, पानी का छिड़काव करता है. सनत ने कंहा, "वो सैकड़ों किलोमीटर दूर भी हो, मोबाइल के एक क्लिक से पानी का छिड़काव हो जाता है. इसमें निगरानी के लिए सीसीटीवी भी है. जगह के हिसाब से इन सब के लिए खर्च करीब 25 हजार आया है.''
सनत ने बताया कि वह बगीचे के पेड़ों में किसी भी रासायनिक या दवाओं का उपयोग नहीं करते हैं. खाद, अंडे का खोल; गोबर; सरसो का खोलो का इस्तेमाल करते है. सब्जी में नीम के तेल जैसे जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है. इसके बेहतरीन परिणाम मिले हैं.
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