गांवों में अजीब अफवाह फैली, कोरोना टीका लगने के बाद नहीं पैदा होंगे बच्चे
कोरोना वैक्सीन को लेकर अफवाहों का दौर अभी थमा नहीं है।
बांदा: कोरोना वैक्सीन को लेकर अफवाहों का दौर अभी थमा नहीं है। रविवार को यूपी के बांदा जिले के महुटा गांव में एक परिवार के किशोरों को टीका लगाने पहुंची टीम को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। परिवार की महिला मुखिया टीम से यह कहते हुए भिड़ गई कि भले ही आप लोग हमें फांसी चढ़ा दें, लेकिन हम अपने बच्चों को टीका नहीं लगवाएंगे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की ओर से कई बार समझाने के बाद भी महिला नहीं मानी और कहा कि हम गरीब लोग हैं और बच्चों को कुछ हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा। यही नहीं सरकार की ओर से आदेश की बात कहे जाने पर महिला ने जवाब दिया कि चाहे जिसने भी कहा हो, हमें टीका नहीं लगवाना है।
हेल्थ वर्कर्स की टीम जब महिला का वीडियो बनाने लगी तो उसने कहा कि हम गरीब लोग हैं और किसी से भी डरते नहीं है। भले ही हम फांसी पर चढ़ा दो, लेकिन हम टीका नहीं लगवाएंगे। महिला ने कहा कि मेरे और पति के दो टीके लग चुके हैं। हम मरने से नहीं डरते हैं, लेकिन बच्चों को टीका नहीं लगवाएंगे। यही नहीं महिला ने बहाना किया कि मेरी बेटी सिर्फ 13 साल की है। वहीं आधार कार्ड मांगने पर महिला ने दिखाने से इनकार कर दिया। हेल्थ वर्कर्स का कहना था कि बच्चों की उम्र 15 साल से अधिक है। ग्रामीणों की ओर से भी कई बार समझाने के बाद भी परिवार नहीं माना।
बेसिक हेल्थ वर्कर शशिकला ने बताया कि गांव में अफवाह है कि किशोर या किशोरियों को टीका लगाया गया तो वह भविष्य में नपुंसक हो सकते हैं। इन अफवाहों के डर से ऐसे बहुत से ग्रामीण हैं, जो टीका लगवाने से ही इनकार कर रहे हैं। यही नहीं कई बार तो जागरुकता के लिए गांवों में पहुंचने वाले तहसीलदार तक से लोग भिड़ जाते हैं, लेकिन टीका नहीं लगवा रहे। बुंदेलखंड के कई इलाकों में कोरोना वैक्सीनेशन की जागरुकता को लेकर ऐसा ही हाल है।
कुछ महीनों पहले टीका लगने से मौत होने की अफवाहें भी थीं और अब नपुंसकता की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। हेल्थ वर्कर्स का कहना है कि एक तरफ सरकार ने शत-प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य रखा है तो दूसरी तरफ लोग वैक्सीनेशन से बच रहे हैं। ऐसे में उनके आगे अपने लक्ष्य को पूरा करने की चुनौती है तो दूसरी तरफ लोगों को समझाने में मुश्किलें भी आ रही हैं।