'गरिमा' की कहानी: पिता की हुई मौत, बिना कोचिंग बनीं UPSC टॉपर

जानें कैसे मिली सफलता.

Update: 2023-05-24 04:47 GMT
पटना (आईएएनएस)| गरिमा लोहिया के पिता बिहार के बक्सर जिले में कपड़े के थोक व्यापारी थे। गरिमा ने मंगलवार को घोषित परिणामों के अनुसार, सिविल सेवा परीक्षा, 2022 में दूसरी रैंक हासिल की है। वुडस्टॉक स्कूल बक्सर से पढ़ाई करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चली गईं, जहां उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज में कॉमर्स की पढ़ाई की।
गरिमा ने आईएएनएस को बताया, "मैं दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई की और 2020 में बी-कॉम परीक्षा उत्तीर्ण की। सिविल सेवा परीक्षा पास करना मेरा लक्ष्य था। स्नातक के बाद मैंने दो बार प्रयास किए। दूसरे प्रयास में मैंने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की।"
उन्होंने कहा, "मेरे पिता बक्सर जिले में कपड़ों के थोक व्यापारी थे, 2015 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई थी। हम बिहार के बक्सर शहर में रहते हैं और हमारे सामने वही चुनौतियां हैं, जो एक छोटे शहर के व्यक्तियों के सामने रहती हैं। मैं हमेशा छोटे शहरों और गांवों में रहने वाले लोगों के लिए कुछ करने के बारे में सोचती हूं। इसी ने मुझे सिविल सेवा परीक्षा में जाने के लिए प्रेरित किया।"
अपने शेड्यूल के बारे में उन्होंने कहा : "मैं हर रोज 8 घंटे, 10 घंटे और कभी-कभी सिर्फ 4 घंटे पढ़ाई करती थी।"
गरिमा 13 सदस्यों वाले संयुक्त परिवार में रहती हैं। उनके परिवार में कमाने वाले सिर्फ उनके दादा हैं। उनकी दो बहनें और एक भाई है। बड़ी बहन की शादी जबलपुर में हुई है, जबकि छोटा भाई बीकॉम का छात्र है। यूपीएससी ने मंगलवार को अंतिम परिणाम की घोषणा की, जिसमें इशिता किशोर ने देश में शीर्ष रैंक हासिल की और उनके बाद गरिमा लोहिया का स्थान रहा।
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