प्रदेश का सबसे बड़ा नौरादेही अभ्यारण्य शनिवार एक जुलाई से पर्यटकों के लिए बंद हो गया है। यहां जंगली जानवर देखने के लिए पर्यटकों को तीन महीने इंतजार करना होगा। एक अक्टूबर को जब अभयारण्य खुलेगा, तब सैलानी यहां प्रवेश कर सकेंगे। बता दें कि नौरादेही और दमोह के रानी दुर्गावती अभ्यारण्य को मिलाकर प्रदेश का सातवा टाइगर रिजर्व बनाया जा रहा है और वर्तमान में नौरादेही में 15 बाघ हैं और एक बाघ एन-2 किशन की कुछ दिन पहले लड़ाई में मौत हो चुकी है।
नौरादेही अभ्यारण्य में बाघों को बसाने के उद्देश्य से 2018 में बाघ, बाघिन को लाया गया था और वर्तमान में यहां बाघों के परिवार की तीन पीढ़ियां रह रही हैं। लेकिन जंगल के राजा और परिवार के मुखिया की मौत हो गई है, जिससे एक ही परिवार के वर्तमान में 14 बाघ हैं जबकि एक अन्य बाघ एन-3 कहीं दूसरे अभयारण्य से दो साल पहले यहां आ गया था और यहीं बसकर रह गया था।
नौरादेही में बाघ एन-2 किशन और बाघ एन-3 के बीच टेरोटरी को लेकर कुछ दिनों पूर्व लड़ाई हुई थी, जिसमें एन-2 के घायल होने के बाद उसकी मौत हो गई। अब जानकारी यह मिल रही है कि बाघ एन-2 किशन के क्षेत्र पर बाघ एन-3 का कब्जा हो गया है।
नौरादेही अभ्यारण्य एक जुलाई से तीन महीने के लिए बंद हो गया है। इसके साथ प्रदेश के सभी नेशनल पार्क और अभ्यारण्य बंद हो जाते हैं। अधिकारियों की माने तो बारिश के दिनों में जंगली रास्तों में दलदल हो जाता है और ऐसे में सैलानियों क़ा जंगल भ्रमण करना खतरनाक साबित हो जाता है। इसलिये अन्य पार्को के साथ नौरादेही अभ्यारण्य भी एक जुलाई से बंद कर दिया जाता है। क्योंकि यदि दलदल वाले क्षेत्र में सैलानियों को भ्रमण कराने वाला वाहन फंस जाता है तो जंगली जानवर सैलानियों क़ो नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए इन सभी कारणों को देखते हुए तीन महीने के लिए पार्क और अभ्यारण्य बंद कर दिए जाते हैं।
नौरादेही अभ्यारण्य में कुछ समय पहले तक 16 बाघ थे। लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या 15 बची है। जंगल की रानी इस समय राधा है, जिसके पहले जन्म के तीन शावक वयस्क हो गए हैं और राधा की दो बेटियां है, जिन्होंने भी शावकों को जन्म दिया है। राधा की पहली बेटी एन-12 ने दो शावकों को जन्म दिया था। जबकि दूसरी बेटी एन-11 ने चार शावकों को जन्म दिया है।
नौरादेही एसडीओ सेवाराम मलिक के द्वारा बताया गया कि प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी एक जुलाई से नौरादेही अभ्यारण्य तीन महीने के लिए बंद हो गया है। नौरादेही में रहने बाघ, बाघिन अलग-अलग क्षेत्रों में अपना बसेरा बनाए हुए हैं। कभी साथ दिखते हैं तो कभी अपने- अपने क्षेत्रों में घूमते रहते हैं। बारिश के समय में जमीन में दलदल हो जाता है जो सैलानियों को नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए एक जुलाई से 30 सितंबर तक जंगल में घूमने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। अब अभ्यारण्य एक अक्टूबर से शुरू होगा और सैलानी यहां बाघों के साथ अन्य जंगली जानवरों को देख सकेंगे।