श्रीलंका चाय बागानों में भारतीय मूल के तमिलों के योगदान को मान्यता देगा

Update: 2022-12-23 11:44 GMT

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कोलंबो (आईएएनएस)| श्रीलंका को चाय बागान क्षेत्र में भारतीय मूल के तमिलों द्वारा 200 वर्षों से देश की अर्थव्यवस्था में दिए गए भारी योगदान की सराहना करनी चाहिए।
राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने 200 वर्षो के दौरान श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में भारतीय मूल के तमिल लोगों के द्वारा दिए गए लगातार योगदान की सराहना करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए प्रस्ताव राष्ट्रपति मीडिया डिवीजन को भेजा, जिसे शुक्रवार को मंजूरी दे दी गई है।
भारत से श्रीलंका में ग्रामीण तमिलों के पहले ग्रुप के आगमन और प्लांटेशन सेक्टर द्वारा की गई आय के एक तिहाई से अधिक में उनके योगदान के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में फरवरी 2023 में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। राष्ट्रपति मीडिया डिवीजन (पीएमडी) ने कहा कि मुख्य रूप से मध्य, सबरागमुवा और दक्षिणी प्रांतों में रहने वाले 1 लाख 50 हजार से अधिक संख्या में तमिल कर्मचारी अर्थव्यवस्था के साथ-साथ श्रीलंका की संस्कृति में उनके योगदान के संबंध में देश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं।
गौरतलब है कि अक्टूबर में श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया कि भारतीय मूल के तमिल समुदाय को देश में अन्य समुदायों की तरह ही सुविधाएं मिलें।
तमिल समुदाय को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों द्वारा चाय बागानों में काम करने के लिए लाया गया था। नागरिकता, समुदाय के लिए एक प्रमुख मुद्दा था। भारत-सीलोन के तत्कालीन प्रधानमंत्रियों लाल बहादुर शास्त्री और सिरीमावो भंडारनायके ने 30 अक्टूबर 1964 को लगभग 300,000 भारतीयों को नागरिकता प्रदान करने, करीब 525,000 भारतीयों को भारत वापस भेजने और शेष 150,000 की नागरिकता पर बातचीत करने के लिए सिरिमा-शास्त्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
हालांकि 2003 में उन सभी भारतीय मूल के लोगों को नागरिकता प्रदान की गई थी, जो सिरिमा-शास्त्री संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के समय से श्रीलंका में रह रहे थे।
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