Agriculture Drone: खेती को लाभकारी बनाने के लिए देश के कृषि वैज्ञानिक लगातार नए-नए प्रयोग कर रहे हैं, जिसमें उन्नत बीज, खाद और कीटनाशक के साथ कृषि उपकरण भी बनाए जा रहे हैं. इन सबमें तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग किया जा रहा है जिससे लागत कम की जा सके साथ ही उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जाए. दूसरी तरफ कृषि के परंपरागत तरीकों में भी काफी बदलाव आया है.
जबलपुर के युवा इंजीनियर भी सालों से कृषि के नए-नए तरीकों को विकसित करने में जुटे हैं. इस बार इस युवा इंजीनियर ने बुवाई के लिए ड्रोन का उपयोग करके हर किसी को हैरान कर दिया है. इंजीनियर अभिनव ठाकुर ने अपनी तकनीक से न सिर्फ संस्कारधानी बल्कि उत्तर प्रदेश में भी शहर का नाम रोशन किया है. आइए आपको भी बताते हैं आधुनिक बुवाई का क्या है नया तरीका...
ट्रैक्टर और सीड ड्रिल की मदद से खेतों में बोवनी करने का तरीका अब बदल गया है और आने वाले समय में ड्रोन की मदद से खेतों में बीज बोया जाएगा. जबलपुर के माढ़ोताल क्षेत्र में रहने वाले अभिनव ने ऐसा ड्रोन बनाया है जो 30 किलो तक वजन उठाने की क्षमता रखता है, इसमें एक टैंक फिट किया है जिसमें धान या गेहूं के बीज को भरा जाता है और फिर खेत में उड़ाकर बीज को क्यारियों में छिड़का जाता है. अभिनव ने बीएचयू के वैज्ञानिकों के आग्रह पर इसका प्रयोग मिर्जापुर के खेतों में करके दिखाया.
अभिनव ने बताया कि यूपी के अधिकतर जिलों में धान की कटाई होने के बाद ठंड का मौसम आ जाता है, जिससे वहां के खेत सूख नहीं पाते और ट्रैक्टर सीडड्रिल से गेहूं की बोवनी करना मुश्किल हो जाता है. इसके लिए गेहूं के बीज का छिड़काव किया जाता है, जिसमें कई तरह की परेशानियां भी आती हैं. इस समस्या की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने अपने ड्रोन को मॉडिफाई किया जिसमें टैंक के नीचे सीडड्रिल के जैसे छेद वाली फनल यानी चाड़ी लगाई और इसी के माध्यम से बीज नीचे गिरता है.
इस डेमो के दौरान सैकड़ों किसान और कृषि वैज्ञानिक भी खेत मे मौजूद थे जिन्होंने इसे खेती का भविष्य बताया. इसके लिए किसान को ड्रोन ऑपरेट करने का ज्ञान होना जरूरी है, मोबाइल या टैबलेट में गूगल मैप की मदद से खेत का नक्शा फीड किया जाता है, जिसके बाद एक बार स्टार्ट करने पर यह बीज या बैटरी खत्म होने तक खुद ही खेत के एरिया के अनुसार बोवनी करता रहता है और बीज या बैटरी खत्म होने के बाद वापस अपनी जगह पर आटोमेटिक लैंड होकर रुक जाता है.
अभिनव ने इस ड्रोन को देश के किसानों की जरूरत को ध्यान में रखकर बनाया है. 4-5 साल की मेहनत और किसानों को जरूरत के मुताबिक इसकी डिजाइन और क्षमता का विकास किया गया. यह देश का सबसे बड़ा खेती-किसानी में उपयोग में आने वाला ड्रोन है जिससे एक बार मे तीस लीटर दवा का छिड़काव किया जा सकता है. एक बार उड़ान भरने के बाद ड्रोन 6 हेक्टेयर का कवरेज देता है. यह कहा जा सकता है कि कम समय और कम खर्च में ड्रोन टेक्नोलॉजी से आधुनिक कृषि में क्रांति आ रही है.
किसानों की सेहत के लिए भी ड्रोन टेक्नोलॉजी बेहद उपयोगी साबित होने वाली है. अभिनव की कम्पनी के को फाउंडर अनुराग चानना का मानना है कि किसान पूरे समय खतरनाक रसायन के बीच रहता है. उसे अपने हाथ से इन रसायनों का छिड़काव फसल में करना पड़ता है, लेकिन ड्रोन के माध्यम से वह बिना रसायन के संपर्क में आये दवा का उपयोग अपनी फसलों में कर सकता है.