फायरिंग और तोड़फोड़: अयोध्या में सपा प्रत्याशी अभय सिंह गिरफ्तार, जानिए इनके बारे में!
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UP Assembly Election 2022: अयोध्या के गोसाईगंज विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट अभय सिंह को शुक्रवार देर रात फायरिंग और पथराव की घटना में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने उन्हें सुबह 4 बजे उनके घर से गिरफ्तार किया. इस दौरान उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि अब चुनाव आपके हवाले हैं. बता दें कि यूपी के बाहुबली कहे जाने वाले अभय सिंह का मुख्तार अंसारी से भी कनेक्शन हैं. इतना ही नहीं कृष्णानंद राय हत्याकांड से लेकर सीएमओ हत्याकांड तक में अभय सिंह का नाम सामने आ चुका है.
पूर्वांचल के बाहुबलियों में अभय सिंह और धनंजय सिंह ये दो ऐसे नाम हैं, जिनकी कभी दोस्ती की मिसालें दी जाती थीं. अभय सिंह अयोध्या के गोसाईगंज सीट से एक बार फिर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. अभय सिंह के सामने अयोध्या के बाहुबली इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी मैदान में हैं. वहीं अजीत सिंह हत्याकांड के आरोपी धनंजय सिंह भी चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें कि धनंजय सिंह पर इस केस में 25 हजार रुपये का इनाम तक घोषित हुआ था. हालांकि उन्हें STF की जांच में राहत मिल गई है.
अभय सिंह का नाम मुख्तार अंसारी के सबसे खास लोगों की सूची में शुमार है. अभय सिंह को मुख्तार अंसारी का दाहिना हाथ कहा जाता है. लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से उत्तर प्रदेश की राजनीति में 'माननीय' बनने वाले अभय सिंह और धनंजय सिंह कभी गहरे दोस्त हुआ करते थे और दोनों ही मुख्तार अंसारी के गुर्गे थे. मुख्तार अंसारी के इशारे पर ही अभय और धनंजय काम किया करते थे. लेकिन समय के साथ धनंजय सिंह ने खेमा बदल दिया, लेकिन अभय सिंह मुख्तार अंसारी के साथ ही जुड़े रहे. बता दें कि अभय सिंह पर 10 मुकदमे दर्ज हैं.
अभय सिंह का सबसे पहले नाम लखनऊ के जेलर आरके तिवारी हत्याकांड में आया. कहा ये भी जाता है कि जेलर आरके तिवारी का लखनऊ जेल में बंद अभय सिंह से विवाद हुआ था, इसके बाद राजभवन के सामने आरके तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में अभय सिंह पर साजिश रचने का आरोप भी लगा. इतना ही नहीं उनका नाम FIR में भी सामने आया, लेकिन पुलिस जांच में अभय सिंह का नाम नहीं आ सका.
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी अभय सिंह का नाम उस वक्त सामने आया, जब हत्याकांड से जुड़ा एक ऑडियो वायरल हुआ. इसमें कथित तौर पर एक आवाज़ अभय सिंह और दूसरी आवाज मुख्तार अंसारी की बताई गई. जिसमें बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुन्ना बजरंगी द्वारा चोटी काटने की बात बताई जा रही थी.
साल 2007-12 के बीच उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार के दौरान परिवार कल्याण विभाग के सीएमओ विनोद आर्या की हत्या में भी अभय सिंह का नाम सामने आया. अभय सिंह को पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता बताया. साथ ही कहा गया कि परिवार कल्याण में ठेकों की वजह से अभय सिंह ने विनोद आर्या की हत्या कराई है. मामला CBI तक गया, लेकिन CBI को भी इस जांच में अभय सिंह के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिले.
2012 में अभय सिंह समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और विधायक बने. फैजाबाद से लेकर पूर्वांचल के तमाम जिलों में रेलवे के ठेके पट्टे, मोबाइल टावर के ठेकों में अभय सिंह का दखल रहा है. लेकिन 2017 के चुनाव में अपना दल के टिकट पर इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी ने चुनाव जीता.
अयोध्या की गोसाईगंज सीट से 2012 में विधायक बने अभय सिंह 2022 में भी प्रत्याशी हैं. अभय सिंह के सामने बीजेपी के टिकट पर जेल में बंद खब्बू तिवारी की पत्नी आरती चुनाव लड़ रही हैं. खब्बू तिवारी को हाल ही में एमपी एमएलए कोर्ट ने फर्जी मार्कशीट के मामले में सजा सुना दी है. इसके चलते उसकी सदस्यता चली गई. अपना दल के टिकट पर विधायक बने खब्बू तिवारी के जेल जाने के बाद बीजेपी ने आरती तिवारी को टिकट दिया है.
खब्बू तिवारी और अभय सिंह के बीच समय-समय पर विवाद सामने आते रहे हैं. दोनों इलाकाई बाहुबली हैं. दोनों के पास अपनी मैन पावर है. शुक्रवार देर रात हुए हमले में खब्बू तिवारी की तरफ से विकास सिंह नामक शख्स का ही नाम सामने आया. विकास सिंह वह व्यक्ति है, जो कभी अभय सिंह का गुर्गा हुआ करता था. लेकिन एक ठेके के विवाद में अभय सिंह ने विकास को अपनी विधायकी के दौरान एक कमरे में बंधक बनाकर जमकर बेइज्जत किया था, तभी से विकास सिंह खब्बू तिवारी के खेमे में चला गया और अभय सिंह खब्बू तिवारी के बीच होने विवाद ज्यादा बढ़ गया. शुक्रवार देर रात हुई फायरिंग और पथराव की घटना में भी अभय सिंह ने विकास सिंह पर ही आरोप लगाया था. जबकि आरती तिवारी और विकास सिंह का आरोप है कि उनके काफिले पर फायरिंग खुद अभय सिंह कर रहे थे.