झूठ बोल कर शादी में जाना सिपाहियों को पड़ा भारी, मिली पांच किमी दौड़ने की सजा, जान पूरा मामला
लखनऊ के तीन सिपाहियों को बिना अनुमति के वाराणसी में अपने साथी की बारात जाना महंगा पड़ गया। एक सिपाही के दुर्घटना में घायल होने पर उनकी पोल एक महीने बाद खुल गई। डीसीपी ने इसकी जांच करायी और आरोप सही मिलने पर गुरुवार को अनूठी सजा सुना दी। उन्होंने तीनों सिपाहियों को शुक्रवार सुबह छह बजे पुलिस लाइन पहुंचकर पांच-पांच किमी. दौड़ लगाने का फरमान दिया।
गोमतीनगर थाने के सिपाही लक्ष्मी नारायण, अनिल यादव और आशुतोष यादव 29 अप्रैल को अपने साथी सिपाही ओमकार पटेल की शादी में शामिल होने वाराणसी चले गये थे। तीनों ने इसके लिये अपने किसी अफसर से अनुमति भी नहीं ली थी। इस बारे में किसी को पता भी नहीं चला। पर, वहां से लौटने के बाद आशुतोष ड्यूटी से गैर हाजिर हो गया और दो दिन बाद उसने चालाकी से अपने इंस्पेक्टर से छुट्टी ले ली। उसने बताया कि वह दुर्घटना में घायल हो गया है। इसलिये वह अभी इलाज होने तक डयूटी पर आने में असमर्थ है।
इंस्पेक्टर ने जब इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि आशुतोष का एक्सीडेंट लखनऊ से बाहर हुआ था। उसके बाहर जाने की बात पर पूछताछ की गई तो सच सामने आया। तीनों ने कबूला कि वह लोग बिना अनुमति साथी की शादी में शामिल होने के लिए वाराणसी चले गये थे। वहां से लौटने पर गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी जिसमें आशुतोष घायल हो गया था।
डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने जांच के आदेश दे दिये। एसीपी ने भी इस पर प्रारम्भिक जांच करने को कहा। 22 मई को यह जांच शुरू हुई और आरोप सही मिले। सिपाही ओमकार पटेल की शादी का वीडियो भी मंगवाया गया जिसमें तीनों मौज मस्ती करते दिखे। बिनइसके बाद ही डीसीपी संजीव ने 27 मई को यह सजा सुनाते हुए आदेश जारी कर दिया। अनुशासनहीनता पर ऐसी सजा मिलती रहती है लेकिन शादी में शामिल होने पर ऐसी सजा मिलने का फरमान पहली बार लखनऊ में हुआ। इससे पहले भी डीसीपी पूर्वी एसीपी, इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की लिखित परीक्षा लेने का फरमान जारी कर चर्चा में रहे थे। हालांकि बाद में यह परीक्षा वाला आदेश अमल में नहीं आया था।