अजमेर। अजमेर शहर की छतें अब बिजली बनाने के साथ प्रदूषण भी रोक रही हैं। 20 लाख पेड़ लगाकर हम प्रदूषण कम कर सकते हैं। उतनी ही सौर ऊर्जा छतों पर बिजली बनाकर भी कार्बन उत्सर्जन भी कम किया जा सकता है। अजमेर डिस्कॉम सहित निजी स्तर संस्थाएं-आवासीय घरों से 5 से 10 लाख यूनिट बिजली बनाकर इतना ही कार्बन उत्सर्जन होने से बचा रही हैं। पूरे साल की बात करें तो हम 1 से 1.25 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादन कर 1 करोड़ बिजली उत्सर्जन कम कर रहे हैं। जमेर को पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन हब बनाया जा सकता है। भविष्य में गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत पर निर्भरता बढ़ेगी। अजमेर में विंड मिल और सौर ऊर्जा प्लांट लगाए जाएं तो फायदा मिल सकता है।
1 यूनिट सौर ऊर्जा से 820 ग्राम कार्बन उत्सर्जन कम होता है। ऐसे में 1 करोड़ यूनिट से इतनी ही कार्बन उत्सर्जन की बचत।
27 यूनिट सौर ऊर्जा उत्पादन एक पेड़ लगाने के समान है। 1 करोड़ यूनिट सौर ऊर्जा 40 से 50 लाख पेड़ लगाने के बराबर।
7 किलोवॉट क्षमता का रूफटॉप सोलर पैनल लगाने से 25 साल में 2.43 लाख यूनिट उत्पादन होगा, जो 9 हजार पेड़ लगाने के बराबर है।
अजमेर जिले में सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। पुष्कर के धोरों में जैसलमेर-बाडमेर की तरह सौर और पवन ऊर्जा प्लांट लगाने पर 5 से 10 हजार मेगावाट बिजली का प्रतिमाह उत्पादन किया जा सकता है। इसके अलावा घरों में 1 से 10 किलोवाट (क्षमता अनुसार) प्लांट लगाकर 80 से 90 लाख यूनिट बिजली प्रतिमाह बनाई जा सकती है।