सॉफ्टवेयर इंजीनियर की कोरोना से मौत, मृतका की होने वाली थी शादी
कोरोना का कहर
गाजियाबाद में पुरोहित का काम करने वाले एक व्यक्ति की बेटी की कोरोना से मौत हो गई। उनका बेटी के हाथ पीले करने का सपना शादी के चंद महीने पहले टूट गया। दो संतान में बड़ी बेटी की शादी के लिए रिश्ता पक्का कर दिया था। नवंबर-दिसंबर में शादी की तैयारी की जा रही थी, लेकिन इससे पहले ही कोरोना से संक्रमित होने के बाद उसकी मौत हो गई। इसके बाद छोटी बहन ने मुखाग्नि देकर भाई का फर्ज निभाया। यह नजारा देख हिंडन श्मशान घाट पर मौजूद लोगों को आंखें नम हो गईं। 28 वर्षीय मृतका युवती का परिवार कोतवाली क्षेत्र की एक कॉलोनी में रहता है। परिवार में पुरोहित दंपति और उनकी दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी बेंगलुरु की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी। छोटी बेटी निजी स्कूल में टीचर है। युवती के पिता ने बताया कि बेटी का कई दिनों तक बुखार नहीं उतरने पर 10 अप्रैल को नेहरू नगर यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया। छह दिन बाद डॉक्टर ने कोरोना की बात बताई तो वह हैरान हो गए। करीब दस दिन और 11 रात युवती यशोदा अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझती रही।
डॉक्टर के कहे अनुसार, बेबस पिता हर तरह की दवा का इंतजाम करते रहे। पिता ने बताया कि कोरोना के इलाज के आवश्यक रेमडेसिविर इंजेक्शन और प्लाज्मा का भी इंतजाम कर दिया था, लेकिन 21 अप्रैल की रात काल बनकर आई। जिसने उसकी जिंदगी छीन ली।
नवंबर-दिसंबर में होनी थी शादी - मूलत: बिहार के सीतामढ़ी निवासी पुरोहित काम करने वाले पिता का कहना है कि दो संतानों में यह बेटी बड़ी थी। वह बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी। करीब छह माह से वर्क फ्रॉम होम कर रही थी। हम सभी उसकी शादी की तैयारियों में जुटे थे। उसका रोका हो गया था। नवंबर और दिसंबर के पहले सप्ताह में शादी का मुहूर्त निकलना था, लेकिन उसकी मौत से सब धरा रह गया।
परिवार पर पहाड़ टूटा - कोरोना संक्रमण से ग्रसित बड़ी बेटी की मौत से माता-पिता पर मुसीबत का पहाड़ टूट गया। पूजा पाठ कराने वाले पिता ने दर्द भरे शब्दों में कहा कि मुझसे कहीं चूक हो गई। ईश्वर को यही स्वीकार था। बेटी को खोने के बाद टूट चुके पिता ने कहा कि दनों बेटियों की परवरिश से लेकर पढ़ाई में पेटकर पैसा लगाया। सपना था कि एक दिन परिवार का नाम रोशन करेगी। घटना के पांच दिन बाद भी परिवार के आंसू थम नहीं रहे हैं।