पटना (आईएएनएस)| बिहार के उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ ने मंगलवार को कहा कि जालसाजी और तस्करी की समस्या खतरनाक है। कोई कानूनी विनियमन नहीं होने और बहुत कम रिसोर्स होने की वजह से उपभोक्ताओं को असुरक्षित और अप्रभावी उत्पादों से खतरा अधिक है। मंत्री ने कहा कि युवा कल के उपभोक्ता हैं, जो अपनी पसंद और व्यवहार के माध्यम से जरूरी बदलाव को प्रोत्साहित कर सकते हैं और ला सकते हैं। जालसाजी और तस्करी से निपटने के लिए 'निवारक रणनीति' पर फिक्की कास्केड (अर्थव्यवस्था को नष्ट करने वाली तस्करी और जालसाजी गतिविधियों के खिलाफ समिति) कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि इस वैश्विक संकट से निपटने के लिए जालसाजी और तस्करी के दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित करना और जागरूकता पैदा करना समय की जरूरत है।
मंत्री ने फिक्की कास्केड को ऐसे युवा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया है। ताकि भारत को अवैध व्यापार से मुक्त बनाने के अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए राज्य के युवाओं को प्रेरित किया जा सके। तस्करी और जालसाजी कैंसर और कोविड जैसी जानलेवा बीमारियों से कहीं ज्यादा खतरनाक हैं।
बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि जालसाजी और तस्करी हमारे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित नहीं करता है बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है। तस्करी और जालसाजी से टैक्स की चोरी होती है जो देश के विकास की गति को और धीमा कर देती है। उन्होंने कोई भी खरीदारी करते समय बिल लेने की जरूरत पर भी जोर दिया है।
फिक्की कास्केड के सलाहकार और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पीसी झा ने कहा कि अवैध व्यापार गंभीर चिंता का विषय है। क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था कमजोर होती है। इसके अलावा ये नागरिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्रभावित करता है। पिछले 20 वर्षों के दौरान वैश्विक स्तर पर जालसाजी गतिविधि की मात्रा में 100 गुना बढ़ोतरी हुई है और व्यापार का आकार कानूनी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 10 प्रतिशत है। अवैध व्यापार की समस्या जितना आमतौर पर समझा जाता है उससे कहीं ज्यादा गंभीर है।
होम गार्ड एंड फायर सर्विसेज के पूर्व महानिदेशक राजीव रंजन वर्मा ने कहा कि तस्करी और जालसाजी के मामले में अवैध व्यापार से निपटने के लिए जागरूकता बढ़ाना एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे सख्ती से आगे बढ़ाने की जरूरत है। तस्करी और जालसाजी के खतरे से निपटने में युवाओं की भूमिका सर्वोपरि है। सेमिनार में फिक्की कास्केड की हालिया रिपोर्ट अवध मार्केट्स पर भी विचार-विमर्श किया गया।
वर्जित और तस्करी के सामानों का बाजार भारत में फल-फूल रहा है। जोकि आज भारतीय उद्योग के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। देश में सोना, सिगरेट, कॉस्मेटिक, दवाएं, आभूषण, रेडीमेड वस्त्र, शराब, पूंजीगत सामान और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विभिन्न उत्पाद श्रेणियों में व्यापक तस्करी देखी जा रही है, जो देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रही है।
बिहार जैसे राज्यों में समस्या और गंभीर हो जाती है। क्योंकि इसके कई जिले नेपाल के साथ सीमा साझा करते हैं और तस्कर आसानी से देश में उत्पाद प्राप्त करते हैं और उन्हें घरेलू बाजार में वितरित करते हैं। फिक्की ने इस मुद्दे के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और खतरे से लड़ने के लिए सरकार और अन्य एजेंसियों के साथ काम करने के लिए अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के प्रमुख उद्योगों की भागीदारी के साथ एक समिति कास्केड की स्थापना की है।