स्मार्ट इंजीनियरिंग का कारनामा, रेल ट्रैक पर लगा दिया बिजली पोल
जांच जारी
एमपी। मध्य प्रदेश के सागर जिले में रेलवे की थर्ड लाइन का काम चल रहा है. इसी दौरान ट्रैक के बीचों-बीच इलेक्ट्रिक पोल लगाने का काम सुर्खियों में है. लोग इसे स्मार्ट इंजीनियरिंग का नायाब नमूना बता रहे हैं. रेलवे का कहना है कि पूरा काम प्लान के तहत हो रहा है. इसमें कहीं कोई गलती नहीं हुई है.
बता दें कि बीना-कटनी के बीच रेलवे की थर्ड लाइन का काम चल रहा है. स्मार्ट इंजीनियरिंग का दावा करने वाली रेलवे ने नरयावली से ईसरवारा के बीच 7.5 किलोमीटर की रेल लाइन में ऐसा कारनामा कर दिखाया कि काबिलियत पर सवाल उठने लगे हैं. निर्माण विभाग ने यहां रेल ट्रैक बिछाया और इलेक्ट्रिक विभाग ने बीच ट्रैक पर ही बिजली का खंभा लगा दिया. अब 1 किलोमीटर के रेल ट्रैक को नए सिरे से शिफ्ट करना होगा, क्योंकि पोल इसी लाइन में लगा दिया गया है.
दरअसल, यहां ठेकेदार ने सेंटर ट्रैक से एलाइनमेंट मिलाए बगैर 3 से 5 मीटर दूर पटरी बिछा दी. इलेक्ट्रिक विभाग ने खामी दूर करने की बजाय पटरी पर ही पोल लगा दिया. इस तरह की गड़बड़ी ईसरवारा स्टेशन की बिल्डिंग के पास भी की गई. यहां भी पोल पटरी के अंदर की ओर लगा दिए गए. मतलब दोनों विभाग में तालमेल की कमी की वजह से ऐसा कार्य हुआ है. अब अधिकारी इस गलती को मानने तैयार नहीं हैं,और नए शेड्यूल में बिल्डिंग और पटरी दोनों को हटाने की बात कर रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि इसमें खर्च होने वाले पैसे की भरपाई कौन करेगा?
जबलपुर मंडल के सीपीआरओ राहुल श्रीवास्तव का कहना है कि वह अस्थाई लाइन है. वह हटेगी. पहले से तय डिजाइन के अनुसार ही डबल लाइन बिछेगी. बहुत सारा प्लांड हैं. उसमें कुछ भी अनप्लांड नहीं है. इसमें कोई रेलवे को आर्थिक नुकसान नहीं होगा. जब डबल लाइन बिछती है तो रास्ते में कुछ स्ट्रक्चर आते हैं और इसी तरह से काम होता है.