महिला के साथ पकड़ाया एसआई: इलाके में देह व्यापार से परेशान लोगों ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, दोनों हिरासत में

बड़ा मामला

Update: 2021-02-22 13:14 GMT

ग्वारीघाट के चौधरी मोहल्ले में एक दरोगा महिला के घर से पकड़ा गया है। देह व्यापार से परेशान लोगों ने रविवार देर रात एक महिला के घर से दो लोगों को पकड़ा है।इसमें एक पनागर थाने में पदस्थ एसआई भी था। लोगों ने एसआई समेत दोनों को पुलिस के सुपुर्द कर दिया है। ग्वारीघाट पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक प्रमोशन के 15 दिन बाद ही दरोगा एक महिला के घर से पकड़ा गया। लोगों के शोर मचाने पर वह छत से भागने की कोशिश करने लगा। इस दौरान उसे स्थानीय लोगों ने पकड़ लिया। लोगों ने जब उसे धरा तो उस समय उसने पैंट भी नहीं पहनी थी। चौधरी मोहल्ले में एक महिला दो बेटियों के साथ रहती है। मोहल्ले वालों का आरोप है कि वहां आए दिन पुलिस और अन्य लोग आते हैं। वहां शराब पीकर हंगामा करते हैं। महिलाओं पर देह व्यापार में लिप्त होने का भी लोगों ने आरोप लगाया। कई दिनों से लोग इस घर की गतिविधियों से परेशान थे। बीते रविवार रात को आखिरकार उनके सब्र का हौसला टूट गया।

ग्वारीघाट थाने की पुलिस पहुंची तो वहां एमपी नंबर 20 सीबी 4261 कार मिली। कार में एसआई की वर्दी मिली। वहीं, भागदौड़ में एसआई की कैप महिला के घर रह गई थी। पुलिस आरोपी एसआई की कार भी ले गई है। अभी पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया है। एएसपी साउथ गोपाल खांडेल के मुताबिक मौके पर कैंट सीएसपी भावना मरावी भी पहुंची थीं। मामले की जांच उन्हें सौंपी गई है। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।

स्थानीय लोगों का आरोप है देह व्यापार में लिप्त इस महिला के यहां एसआई गोविंद तिवारी सहित कई लोग भी आते रहते थे। प्रकरण पुलिस वाले जुड़े होने के चलते ग्वारीघाट की टीम ने पहले इसे दबाने की भी कोशिश की, लेकिन स्थानीय लोगों के आक्रोश के चलते ये संभव नहीं हुआ। मामले की जानकारी अधिकारियों तक पहुंची।

पुलिस सूत्रों की मानें तो एसआई गोविंद तिवारी को 15 दिन पहले ही प्रमोशन मिला है। 58 वर्षीय गोविंद तिवारी की छवि काफी खराब है। शराब पीने और अय्याशी के मामले में वह विभाग में बदनाम हैं। गोविंद तिवारी के खिलाफ पूर्व में गढ़ा थाने में धोखाधड़ी का भी मामला दर्ज हुआ था। हालांकि वर्तमान में वह उस मामले में बरी हो चुके हैं। तब उन पर आरोप लगा था कि छोटी लाइन फाटक स्थित सुविधा अस्पताल के संचालक कुछ अधिवक्ताओं के साथ मिलकर गैंगरीन के मरीजों का हाथ-पांव काट कर उसे एक्सीडेंट का स्वरूप दिया जाता था। फिर इसके एवज में इंश्योरेंस का लाखों रुपये का क्लेम बनाया जाता था।

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