आयुर्वेद विभाग में आयुर्वेद चिकित्सकों व नर्सिंगकर्मी की कमी

Update: 2024-05-01 10:46 GMT
पाली। पाली कोरोना के बाद आयुर्वेद के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। केन्द्र सरकार की ओर से आयुर्वेद को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे है, लेकिन प्रदेश में आयुर्वेद को हाशिए पर कर दिया है। पाली जिले में आयुर्वेद के चिकित्सालय तो खुले हैं, लेकिन वहां दवा लिखने वालों के साथ दवाओं को कूट व पीसकर मरीज को देने वाले नहीं है। हालात यह है कि शहर के जुनी कहचरी परिसर में चल रहा जिला आयुर्वेद चिकित्सालय, जहां रोजाना 60-70 मरीज आते है। वहां पिछले दो माह से महज एक चिकित्सक है। उनके अवकाश पर जाने पर नर्सिंगकर्मी मरीजों को चिकित्सक के आने की तिथि देकर लौटते हैं। शहर की एक आयुर्वेद डिस्पेंसरी में आयुष भवन से चिकित्सक सप्ताह में दो दिन जाते है। शेष दिन वह बंद रहती है। ऐसा ही हाल जिले के 146 आयुर्वेद चिकित्सालयों का है। प्रदेश में भी लगभग हर जिले का ऐसा ही हाल है।

यह है जिले की स्थिति
146- आयुर्वेद औषधालय व चिकित्सालय
1- जिला चिकित्सालय, जिसमें एक प्रधान चिकित्साधिकारी व दो वरिष्ठ चिकित्साधिकारी प्रथम के पद, यहां केवल एक प्रधान चिकित्साधिकारी ही कार्यरत।
2- ब्लॉक चिकित्सालय रोहट व रानी में, जिनमे 5 चिकित्साधिकारी आयुर्वेद, एक-एक होयोयोपैथी व यूनानी चिकित्सक के पद
6- चिकित्सालय, झूठा, सादड़ी, घाणेराव, नाना, गुड़ा एंदला व सिंदरू में है। इनमें से सिंदरू में चिकित्सक नहीं है।
1- योग एवं प्राकृतिक चिकित्सालय पाली के हाउसिंग बोर्ड में
167- पद स्वीकृत है जिले में आयुर्वेद चिकित्सकों के
110 -ही चिकित्सक कार्यरत, 57 पद रिक्त है जिले में

नर्सिंगकर्मी व अन्य कर्मचारियों की स्थिति
154 - पद आयुर्वेद नर्सिंगकर्मियों के
66- नर्सिंगकर्मी है कार्यरत
88 - पद नर्सिंगकर्मियों के रिक्त
95 - चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी स्वीकृत
44 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही कार्यरत
51- चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद रिक्त
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