आज के समय में मोटापा लोगों के लिए बड़ी समस्या बनता जा रहा है. बदपरहेज़ी और फास्ट फूड (Fast food) के सेवन से कई लोग मोटापे से ग्रसित होते जा रहे हैं. इस बीच एक शोध (Research) में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि साल 2050 तक दुनिया की लगभग आधी आबादी (population) यानी 4 बिलियन से अधिक लोग ओवरवेट (Overweight) हो जाएंगे. जिनमें से 1.5 बिलियन लोगों को ओबेसिटी (Obesity) का शिकार होने के कारण स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. जबकि 500 मिलियन लोग संभावित रूप से कम वजन वाले (Underweight) और भुखमरी (Starvation) के शिकार होंगे.
पोट्सडैम इंस्टीट्यूट फोर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के शोध में ये पाया गया कि अगर लोगों के खान-पान में बदलाव नहीं आया तो 30 साल बाद तक लोगों को मिलने वाले न्यूट्रिशन में गैप बढ़ता जाएगा. इस शोध से वैज्ञानिक ये पता लगाना चाहते थे कि आने वाले समय में लोगों को मिलने वाले न्यूट्रिशन के स्तर में कितना बदलाव आएगा. शोध को अंजाम देने के लिए लोगों के खानपान, बढ़ती आबादी और खाने की बचत और बरबादी का आकलन किया गया.
1965 के बाद से प्रोसेस्ड फूड का अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसके कारण अधिक प्रोटीन मीट, मीठे पदार्थ और कार्बोहाइड्रेट का सेवन बढ़ गया है. जबकि कम लोग ऐसे हैं जो फल और सब्जियों का सेवन कर रहे हैं. इस बदलाव के कारण हमारे शरीर में फैट बढ़ता जा रहा है और उसे घटाने के लिए लोग कोशिश नहीं कर रहे हैं. खान-पान में होने वाले बदलावों के चलते लोग अधिक मात्रा में पैकेट वाले खाने को अपने आहार में शामिल कर रहे हैं और प्राकृतिक तौर पर उगने वाले खाने का सेवन कम कर रहे हैं. इसके कारण हमारी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
गौरतलब है कि 2010 तक दुनिया की 29 फीसदी आबादी ओवरवेट हो चुकी थी. जिनमें से 9 प्रतिशत लोग ओबेसिटी का शिकार थे जिनका बॉडी मास इंडेक्स 30 से ऊपर था. अधिक वजन और मोटापे के कारण लोगों में दिल की बीमारी और डायबिटीज जैसे अनेक रोग बढ़ते जाएंगे. कई रिपोर्ट तो ये भी बताती हैं कि मोटे लोगों को कोरोना वायरस (Coronavirus) से अधिक खतरा है और ये वायरस उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है.
इस स्थिति को देखते हुए शोधकर्ताओं ने ये भी अंदाजा लगाया है कि आने वाले समय में खाने की मांग बढ़ जाएगी जिसके चलते विकासशील देशों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.