खरगोन: मध्यप्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर हुए दंगों के बाद स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा तोड़े गए मकानों के मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि यह मूलभूत अधिकारों का हनन है। दरअसल, इस कार्रवाई को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जस्टिस प्रणय वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
खरगोन में रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद जिला प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए कई आरोपियों के मकानों पर बुलडोजर चला दिया था। हिंसा में शामिल होने का आरोप लगा कर मकानों के साथ कई दुकानों को भी जमीदोंज किया गया था। जिला प्रशासन की इस कार्यवाही को गलत बताते हुए याचिकाकर्ता जाहिद अली ने एक याचिका इंदौर हाई कोर्ट में लगाई थी। इस याचिका पर याचिका पर जस्टिस प्रणय वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि प्रशासन ने बिना नोटिस और बिना वक्त दिए ही सीधे मकान तोड़ दिए। पीड़ितों को पक्ष रखने का अवसर ही नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता जाहिद अली ने यह भी कहा कि प्रशासन ने मालिकाना हक, रजिस्ट्री वाली संपत्ति तोड़ दी है। इसका मुआवजा दिलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा निगम, प्रशासन को सभी तरह के टैक्स चुकाए गए थे। शासन की ओर से इस मामले में जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का मांगा गया है।
बता दें की खरगोन हिंसा के बाद मध्यप्रदेश के गृहमंत्री ने एक बयान दिया था जिसमे उन्होंने पत्थरबाजो के घरों को पत्थर के ठेर में बदलने की बात कही थी। जिसके बाद जिला प्रशासन ने दंगे के आरोपियों के घर और दुकाने जमीदोंज कर दी थी।