आजम खान को झटका: यूपी सरकार को जौहर ट्रस्ट के लिए लौटानी होगी अधिग्रहित 12.50 एकड़ जमीन, हाईकोर्ट ने दिए आदेश

पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को जौहर ट्रस्ट के लिए नियमों का उल्लंघन कर जमीन अधिग्रहीत करने के मामले में हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है।

Update: 2021-09-06 15:43 GMT

पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को जौहर ट्रस्ट के लिए नियमों का उल्लंघन कर जमीन अधिग्रहीत करने के मामले में हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने अधिग्रहीत 12.50 एकड़ जमीन को राज्य में निहित करने के एडीएम वित्त के आदेश को सही करार दिया है। एसडीएम की रिपोर्ट व एडीएम के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी गई है। कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना जिलाधिकारी की अनुमति के अवैध रूप से ली गई। अधिग्रहण की शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण के बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया। गांव सभा की सार्वजनिक उपयोग की चकरोड जमीन व नदी किनारे की सरकारी जमीन ले ली गई। किसानों से जबरन बैनामा कराया गया, जिसमें 26 किसानों ने पूर्व मंत्री ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

कोर्ट ने कहा निर्माण पांच साल में होना था, वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी गई। कानूनी उपबंधों व शर्तों का उल्लंघन करने के आधार पर जमीन राज्य में निहित करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता एसएसए काजमी व अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव ने बहस की। याची का कहना था कि ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहम्मद आजम खां, सदस्य अब्दुल्ला आजम खां 26 फरवरी 2020 से सीतापुर जेल में बंद हैं। आजम खां की पत्नी तंजीन फात्मा को 21 दिसंबर 2020 को जमानत मिल गई थी।
एसडीएम की रिपोर्ट एक पक्षीय है। जेल में अध्यक्ष सचिव को नोटिस नहीं दिया गया। सरकार की तरफ से कहा गया कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना अनुमति ली गई। ऐसा अधिग्रहण अवैध है। गांव सभा व नदी किनारे की सार्वजनिक उपयोग की जमीन ले ली गई। शत्रु संपत्ति की जमीन भी मनमाने तरीके से ली गई। अधिग्रहण शर्तों के विपरीत विश्वविद्यालय परिसर में मस्जिद का निर्माण कराया गया। शासन की कार्रवाई नियमानुसार है। ट्रस्ट को सरकार ने 7 नवंबर 5 को शर्तों के अधीन जमीन दी थी। स्पष्ट था कि शर्तों का उल्लंघन करने पर जमीन वापस राज्य में निहित हो जाएंगी।
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