पणजी: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना गठबंधन) की तरह गोवा विधानसभा चुनाव में अब इन तीनों पार्टियों के बीच गठबंधन होने की उम्मीद लगभग खत्म हो गई है. इसके लिए एनसीपी और शिवसेना ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. एनसीपी और शिवसेना ने गोवा में साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
कांग्रेस के गठबंधन में शामिल नहीं होने पर शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, कांग्रेस को लगता है कि वे अपने दम पर जीत सकते हैं इसलिए उन्होंने हमारे साथ गठबंधन नहीं किया. हम चुनाव पूर्व गठबंधन चाहते थे. गोवा में आया राम गया राम की राजनीति है. गोवा को हमें मौका देना चाहिए.
वहीं गठबंधन नहीं होने को लेकर एनसीपी नेता प्रफुल पटेल ने कहा, हमने कांग्रेस को संयुक्त रूप से गोवा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया लेकिन व्यर्थ रहा. उन्होंने न तो हां कहा और ना इनकार किया. पटेल ने कहा, एनसीपी और शिवसेना संयुक्त रूप से गोवा में चुनाव लड़ेगी.
वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने गठबंधन को लेकर कहा कि गठबंधन पर फैसला आलाकमान लेता है. महाराष्ट्र में भाजपा को रोकने के लिए सोनिया गांधी ने शिवसेना और एनसीपी की मदद की थी. अन्य राज्यों में कांग्रेस की स्थिति अच्छी है, इसलिए उन्हें (शिवसेना और एनसीपी) के साथ गठबंधन करने की कोई जरूरत नहीं है.
प्रफुल पटेल ने कहा कि शुक्रवार तक गोवा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की जा सकती है. वहीं गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता मनोहर पर्रिकर के बेटे के बगावती सुर को लेकर भी संजय राउत ने समर्थन का ऑफर दिया है.
राउत ने कहा, उत्पल ने बीजेपी से सही सवाल किया है. उन्हें टिकट देना या नहीं देना बीजेपी का आंतरिक मामला है लेकिन उत्पल अकेले लड़ेंगे तो समर्थन देने का फैसला करेंगे.
40 सीटों वाले गोवा विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च को समाप्त हो रहा है. राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव फरवरी 2017 में हुआ था. कांग्रेस 15 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सरकार नहीं बना सकी थी.
बीजेपी ने 13 सीटें जीती थीं और एमजीपी, जीएफपी और दो निर्दलीय विधायकों के सहारे सरकार बनाने में सफल रही. मनोहर पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री बने थे. 17 मार्च 2019 को मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद डॉ. प्रमोद सावंत राज्य के मुख्यमंत्री बने.