भोपाल (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। लिहाजा शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार इस वर्ग को खुश करने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती। यही कारण है कि सरकारी नौकरी के द्वार खोले जा रहे हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव के चलते मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस बेरोजगारी को मुद्दा बना रहा है और वहीं सरकार की नीतियों पर हमलावर है। इसके विपरीत राज्य सरकार ने एक लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया है और यह सिलसिला शुरू भी हो चुका है।
राज्य में एक साथ 22 हजार से ज्यादा युवाओं को शिक्षकों की पद पर नियुक्ति करने के साथ नियुक्ति पत्र वितरित किए गए हैं। इतना ही नहीं राज्य सरकार की कोशिश है कि इस साल लगभग 60 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। इसके अलावा अन्य विभागों में भी नियुक्ति का अभियान चलाया जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बेरोजगारी एक बड़ा सियासी मुद्दा है और इस दौर में अगर सरकारी नियुक्तियां होती हैं तो युवाओं के बीच सरकार के प्रति सकारात्मक नजरिया बनेगा, वहीं उद्योग जगत में भी स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दिए जाने से सत्ताधारी दल के हिस्से में युवाओं का समर्थन आएगा। यह कोशिश अगर सकारात्मक रहती है तो सत्ताधारी दल को लाभ हो सकता है मगर सिर्फ वादों तक बात रहती है तो सत्ताधारी दल को नुकसान भी हो सकता है।