BJP पर शिवसेना का तंज, मायावती का लिया नाम

Update: 2022-03-12 06:59 GMT

नई दिल्ली: पांच राज्यों के चुनाव नतीजों (Assembly Election Results) के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच आरोप-प्रत्यारोपों (BJP vs Shiv Sena) का एक नया दौर शुरू हुआ है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने दिल्ली बीजेपी मुख्यालय में जीत के जश्न में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि भ्रष्टाचार करने वाले भ्रष्टाचार भी करते हैं और केंद्रीय जांच एजेंसियों पर कार्रवाई नहीं करने के लिए दबाव भी डालते हैं. पीएम मोदी का यह निशाना महाराष्ट्र का नाम लिए बिना यहां महा विकास आघाड़ी के नेताओं के खिलाफ ईडी, इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाइयों को लेकर दिया गया बयान था. पीएम मोदी के इस बयान पर आज (शनिवार, 12 मार्च) शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में (Shiv Sena Saamana editorial) नाराजगी जताई है और बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) की मिसाल देकर कई सवाल किए हैं.

सामना में लिखा है, 'एक वक्त था जब मायावती उत्तर प्रदेश की राजनीति में किसी बाघिन की तरह विचरण करती थीं. लेकिन आय से अधिक संपत्ति के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसियों का दबाव डाल कर मायावती को चुनावों से दूर किया गया. बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए बसपा को उत्तर प्रदेश की राजनीति से दूर करना एक रणनीति थी. जो पार्टी एक वक्त में उत्तर प्रदेश में अपने दम पर सत्ता में आने का चमत्कार करने का सामर्थ्य रखती थी, उस पार्टी को विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट मिली, यह किसी को हजम होने लाएक बात है क्या? केंद्रीय जांच एजेंसियों के दबाव को भी विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत का शिल्पकार ठहराया जाना चाहिए. लेकिन विजय सभा में पीएम मोदी कहते हैं कि विपक्ष इन केंद्रीय जांच एजेंसियों पर दबाव डाल रहा है. पीएम मोदी के इस बयान से उनकी पार्टी के लोग भी सहमत होंगे. दबाव क्या होता है, मायावती इसकी ज्वलंत मिसाल है.'
यह वक्त किसी का नहीं है. कब किसका हो जाए, किसी को पता नहीं है. इसलिए बीजेपी को यह बात याद रहे, यह नसीहत देते हुए सामना संपादकीय मेें आगे लिखा है, ' विजय को विनम्रता से स्वीकार किया जाए, तभी वो गौरवशाली ठहरती है. किसी वक्त में कांग्रेस पार्टी को भी जीत के बाद जीत मिला करती थी. गल्ली से लेकर दिल्ली तक सिर्फ कांग्रेस का ही बोलबाला था. कांग्रेस पत्थर भी उछाल देती थी तो वो भी जीत जाता था. आज उसका क्या हाल है, यह एक सबक है, सीखने की सबको ज़रूरत है.'
शिवसेना के 'सामना' संपादकीय में आगे लिखा है, 'कांग्रेस काल में जांच एजेंसियों के दबाव की बात करने वालों में सबसे आगे पीएम नरेंद्र मोदी हुआ करते थे जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. लेकिन उनके काल में बीजेपी के लोगों पर कार्रवाई होती भी है तो कोर्ट पहुंचते ही उन्हें कार्रवाइयों या गिरफ्तारी से राहत कैसे मिल जाती है, यह भी समझना जरूरी है. जांच एजेंसियों और कोर्ट के बीच के ताने-बाने पर भी विचार जरूरी है.'
आगे सामना में लिखा है, 'न्याय सबसे लिए समान होना चाहिए, महाराष्ट्र के बीजेपी नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों के नाम पर धमकी देते हैं. उनके कहे अनुसार तुरंत कार्रवाई भी होती है. ये इन एजेंसियों के स्वतंत्र और निष्पक्ष होने के लक्षण हैं क्या? महाराष्ट्र और बंगाल दिल्ली के सामने झुकने को तैयार नहीं है, इसीलिए इन्हीं दो राज्यों में केंद्रीय जांच एजेंसियों की सबसे ज्यादा कार्रवाइयां हो रही हैं. '
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