शिवसेना ने गठबंधन में फूट की खबरों के बीच जारी किया व्हिप, मॉनसून सत्र में सभी विधायकों की मौजूदगी अनिवार्य

महाराष्ट्र विधानसभा के दो दिनों का मॉनसून अधिवेशन 5 जुलाई से शुरू हो रहा है.

Update: 2021-06-29 15:50 GMT

महाराष्ट्र विधानसभा के दो दिनों का मॉनसून अधिवेशन (Monsoon Assembly Session) 5 जुलाई से शुरू हो रहा है. अधिवेशन के नियमित कामकाज सहित भाजपा के आक्रामक होने की आशंका है. ऐसे में शिवसेना के विधायकों (Shivsena MLA and MLC) से कहा गया है कि सत्र के दौरान वे मौजूद रहें. व्हिप के मुताबिक अधिवेशन के अंत तक हर सत्र में विधायकों को सदन में मौजूद रहना होगा.

यह व्हिप शिवसेना पार्टी की ओर से शिवसेना के विधायकों के लिए जारी किया गया है. इसे शिवसेना विधायक सुनील प्रभु ने विधानसभा में शिवसेना के नेता के कार्यालय से जारी किया है. विधानसभा का यह मॉनसून अधिवेशन 5 और 6 जुलाई, इन दो दिनों का होगा. नियमित कामकाज के अलावा इस अधिवेशन में नए विधानसभा अध्यक्ष की नियुक्ति की भी संभावनाएं जताई जा रही हैैं. इसीलिए शिवसेना द्वारा जारी किया गया यह व्हिप महत्वपूर्ण हो गया है.
भाजपा इन मुद्दों पर हो सकती है आक्रामक
मराठा आरक्षण, स्थानीय निकायों के चुनावों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किया जा चुका ओबीसी का अतिरिक्त आरक्षण, कोरोना संक्रमण से जुड़ी चिंताएं, अनिल देशमुख प्रकरण, किसानों के मुद्दे, दूध का गिरा हुआ भाव जैसे कई मुद्दे हैं जिन पर भाजपा आक्रामक रुख अपनाने की तैयारी में है. इसीलिए अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए शिवसेना की ओर से उनके विधायकों को व्हिप जारी किया गया है और पूरे अधिवेशन के दौरान मौजूद रहने को कहा गया है.
व्हिप मतलब क्या होता है ?
किसी राजनैतिक दल में व्हिप वह व्यक्ति होता है जो उस दल में अनुशासन बनाये रखने के लिए जिम्मेदार होता है. व्हिप को सचेतक भी कहा जाता है. संविधान में विधायक दल के नेता के बारे में कोई स्पष्ट तौर से बताया नहीं गया है. यह नेता आमतौर पर पार्टी के विधायको में से ही चुना जाता है. कोई राजनीतिक पार्टी विधायक दल के नेता को व्हिप जारी करने के लिए अधिकृत कर सकती हैं. शिवसेना की ओर से यह व्हिप सुनील प्रभु ने जारी किया है.
व्हिप तीन तरह का होता है. एक लाइन का व्हिप, दो लाइनका व्हिप और तीन लाइन का व्हिप. इनमें से तीन लाइन के व्हिप को अहम माना जाता है. इसे कठोर कहा जाता है. इसका इस्तेमाल अविश्वास प्रस्ताव जैसे अहम मुद्दों पर बहस या वोटिंग में किया जाता है. इन तीनों व्हिपों का उल्लंघन दल बदल विरोधी अधिनियम के तहत माना जाता है और उल्लंघन करने वाले सदस्य की सदस्यता रद्द की जा सकती है.
Tags:    

Similar News

-->