शिंदे सरकार ने कोविड काल के दौरान BMC की कार्यप्रणाली की जांच के आदेश दिए
दरअसल, कोविड काल में लोगों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए बिना टेंडर प्रक्रिया के तत्काल सुविधाओं की व्यवस्था और सामान खरीदने को प्राथमिकता दी गई थी. हालांकि बीजेपी ने कई बार महाविकास अघाड़ी सरकार पर सत्ता का दुरुपयोग करने और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. अब राज्य सरकार ने सीएजी को इन सभी मामलों की जांच कर जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. बीएमसी द्वारा कोविड केंद्रों का संचालन और चिकित्सा सेवा प्रदान करने का काम गैर-पारदर्शी तरीके से किया गया था. मसलन, लाइफलाइन अस्पताल मैनेजमेंट सर्विस को 5 केंद्रों का ठेका दिया गया था. जबकि इस कंपनी का गठन कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने के समय हुआ भी नहीं था. इसके बाद कहा गया था कि यह फर्म अपंजीकृत है और करीब 100 करोड़ रुपये का ठेका गैर पारदर्शी तरीके से दिया गया.
कोविड के दौरान बीएमसी द्वारा की गई खरीद में मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया था. दरअसल, बीएमसी ने 7 अप्रैल 2020 को 1568 रुपये प्रति शीशी की रेट पर रेमडेसिविर की 2 लाख शीशियों का ऑर्डर दिया था. जबकि उसी दिन महाराष्ट्र सरकार के हाफकाइन इंस्टीट्यूट और मीरा भयंदर नगर निगम ने 668 रुपये की दर से रेमेडिसविर की शीशी खरीदी थी.
- विभिन्न कोविड केंद्रों पर विभिन्न सामग्रियों की खरीद के लिए सहायक आयुक्त को वार्ड स्तर पर भी असाधारण अधिकार प्रदान किए गए थे. जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त थे. कोविड केंद्रों के निर्माण के लिए जिस तरह से कोविड केंद्रों को ठेके दिए गए, उसका भी विशेष ऑडिट किए जाने की जरूरत है. MCGM ने निशाल्प रियल्टी (अल्पेश अजमेरा) से एकसार/दहिसर में जमीन खरीदी थी. इसके लिए 349 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. इसमें यह देखा गया कि अल्पेश अजमेरा ने वही जमीन 2.55 करोड़ रुपये में खरीदी थी. इस जमीन की खरीद का कई नगर आयुक्तों ने कड़ा विरोध किया था. वहीं बिल्डर ने कोर्ट में जाकर 900 करोड़ रुपये की मांग की है. यह एमसीजीएम के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसकी जांच किए जाने की जरूरत है.