शशि थरूर का पार्टी को नसीहत,बोले- भाजपा की तरह बनने की कोशिश की तो हो जाएंगे जीरो
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी 'बीजेपी लाइट' बनने का खतरा नहीं उठा सकती
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी 'बीजेपी लाइट' बनने का खतरा नहीं उठा सकती क्योंकि इससे उसके 'कांग्रेस जीरो' होने का खतरा है. थरूर ने आगे कहा कि कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राजनीतिक संदेश को कमजोर रूप में पेश नहीं कर रही और उनकी पार्टी के भीतर भारतीय धर्मनिरपेक्षता की भावना अच्छी तरह से निहित और जीवंत है. साथ ही यह भी कहा कि धर्मनिरपेक्ष शब्द हटा देने पर भी संविधान धर्मनिरपेक्ष बना रहेगा.
पार्टी पर 'सॉफ्ट हिंदुत्व' का आरोप लगने के बारे में पूछे जाने पर केरल से सांसद थरूर ने कहा कि वह इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस मुद्दे पर कुछ उदार भारतीयों के लिए यह बहुत वास्तविक और ठोस चिंता का विषय है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हम कांग्रेस पार्टी में बहुत स्पष्ट हैं कि हम खुद को बीजेपी-लाइट बनने की अनुमति नहीं दे सकते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और लेखक शशि थरूर ने समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में कहा, 'मैं लंबे समय से यह कहता आया हूं कि 'पेप्सी लाइट' की तरह 'बीजेपी लाइट' बनाने के किसी भी प्रयास का परिणाम 'कोक जीरो' की तरह 'कांग्रेस जीरो' हो जाएगा. कांग्रेस किसी भी रूप और आकार में बीजेपी की तरह नहीं है और हमें ऐसे किसी का भी कमजोर रूप बनने का प्रयास नहीं करना चाहिए जो कि हम नहीं हैं. मेरे विचार से हम ऐसा कर भी नहीं रहे हैं.'
यह रेखांकित करते हुए कि कांग्रेस हिंदू धर्म और हिंदुत्व के बीच अंतर करती है, थरूर ने कहा कि हिंदू धर्म में हम समावेशी और गैर आलोचनात्मकता का सम्मान करते हैं, जबकि हिंदुत्व अलग-थलग पर आधारित एक राजनीतिक सिद्धांत है. कांग्रेस सांसद थरूर ने कहा कि हमारे बीच यह साफ है कि हम खुद को बीजेपी का दूसरा रूप नहीं बना सकते. राहुल गांधी ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि मंदिर में जाना उनका निजी हिंदुत्व है, लेकिन वह हिंदुत्व के किसी भी नरम या गरम रूप का समर्थन नहीं करते हैं.
संविधान धर्मनिरपेक्ष बना रहेगाः थरूर
थरूर ने अपनी नई किताब 'द बैटल ऑफ बिलांगिंग' को लेकर दिए साक्षात्कार के दौरान संविधान में धर्मनिरपेक्षता शब्द के खतरे में होने से जुड़े सवाल पर कहा, 'भारत में धर्मनिरपेक्षता एक सिद्धांत और प्रैक्टिस के रूप में 'खतरे' में जरूर है लेकिन मैं इसके शीघ्र पतन के रूप में नहीं देख रहा. भारत अपने सार में सहिष्णुता और बहुलवाद का प्रतीक है, और मैं नहीं मानता कि नफरत की ताकतें हमारे मौलिक धर्मनिरपेक्षता को स्थायी रूप से दूर कर सकती हैं.'
उन्होंने कहा, 'सत्तारूढ़ दल धर्मनिरपेक्ष शब्द को संविधान से हटाने के प्रयास कर सकता है.' लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि घृणा फैलाने वाली ताकतें देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बदल नहीं सकतीं. हालांकि, थरूर ने आगाह किया कि लोगों को इसके प्रति सजग रहना होगा और जहां कहीं भी ऐसे प्रतिगामी विचार आएं उनका विरोध करते रहना चाहिए. धर्मनिरपेक्षता महज एक शब्द है और यदि सरकार इस शब्द को हटा भी देती है तो भी संविधान अपने मूल स्वरूप की वजह से धर्मनिरपेक्ष बना रहेगा.
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की हाल ही में धर्मनिरपेक्षता को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की आलोचना करने के सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा कि उनका सुझाव है कि इस तरह के विचारों को व्यक्त करने के लिए कोश्यारी को 'राजभवन नोटपेपर' की जगह एक अलग 'लेटरहेड' दिया जाना चाहिए.
कांग्रेस के एक अन्य दिग्गज नेता पी चिदंबरम की उस हालिया टिप्पणी जिसमें उनके कश्मीर में अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने और बीजेपी की ओर से इसकी आलोचना करने के सवाल पर थरूर ने कहा कि उन्होंने संसद के भीतर अपना रुख बता दिया है. उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ अनुच्छेद 370 को खत्म करने का मुद्दा नहीं है. यहां तक कि (जवाहरलाल) नेहरू जी ने कहा था कि यह प्रावधान अस्थायी है, लेकिन संविधान निर्दिष्ट करता है कि इसे कैसे किया जाना है.'