2015 में पांच नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न, शिक्षक को अब उम्र भर पछताना पड़ेगा

अदालत बोला- सभी पीड़ितों की गवाही विश्वसनीय है.

Update: 2024-12-03 03:46 GMT
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक स्कूल शिक्षक को वर्ष 2015 में पांच नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने, उन्हें आपराधिक रूप से डराने-धमकाने के अलावा गंभीर यौन उत्पीड़न करने व पीड़ितों में से एक की गरिमा को ठेस पहुंचाने का दोषी ठहराया है।
अदालत ने कहा कि अगर कोई पुरुष किसी महिला के शरीर के किसी खास अंग पर बेतुके और घिनौने तरीके से टिप्पणी करता है, तो यह उसकी यौन मंशा को दर्शाता है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत की अदालत ने एक स्कूल के लैब असिस्टेंट के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थी, जो एक अस्थायी शिक्षक के रूप में भी काम कर रहा था। आरोपी शिक्षक पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम व यौन उत्पीड़न करने के दंडात्मक प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए थे।
विशेष लोक अभियोजक संदीप कौर ने कहा कि पांचों पीड़ितों ने मिलकर आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। अदालत ने कहा कि यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में पीड़िता की एकमात्र गवाही भी अभियोजन पक्ष के मामले को साबित करने के लिए पर्याप्त हो सकती है। लेकिन वर्तमान मामले में यह किसी एक पीड़िता का मामला नहीं है, बल्कि पांच पीड़िताएं हैं, जिन्होंने आरोपी के खिलाफ गवाही दी है।
अदालत ने कहा कि सभी पीड़ितों की गवाही विश्वसनीय है। अदालत ने कहा कि इस मामले में पीड़ित स्कूल जाने वाली बच्चियां हैं। अदालत ने कहा कि आरोपी के मोबाइल फोन से वीडियो क्लिप बरामद की गई, जिससे साबित होता है कि उसने लड़कियों की क्लिप तब बनाई थी जब वे स्कूल में खेल रही थीं या नाच रही थीं। आरोपी के समग्र आचरण को देखते हुए, जिसमें उसने एक पीड़िता के शरीर के अंगों पर टिप्पणी की। इस मामले में दोषी की सजा पर बहस बाद में सुनी जाएगी।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, आरोपी के पूरे आचरण को देखते हुए जिसमें उसने एक पीड़िता के शरीर के अंगों पर टिप्पणी की, एक अन्य लड़की के कंधे और कमर को छुआ, तथा सभी पांचों पीड़ितों को स्तनपान कराने वाली माताओं और शिशुओं के बारे में टिप्पणी की, अदालत ने कहा कि आरोपी ने "ये सब यौन इरादे से किया"।
अदालत ने कहा कि जब भी कोई व्यक्ति किसी महिला के किसी अंग पर किसी बेतुके और घृणित तरीके से टिप्पणी करता है, और वह भी ऐसा अंग जो महिला की शील से संबंधित हो तो यह उस पुरुष की यौन मंशा को दर्शाता है। महिला की छाती और अन्य निजी अंग हमेशा महिला के शील से संबंधित होते हैं और उन पर बिना किसी उचित स्पष्टीकरण या तर्क के टिप्पणी नहीं की जा सकती। अदालत ने यह भी कहा कि कोई भी सामान्य विवेक वाला व्यक्ति बिना किसी यौन मंशा के कभी भी किसी बालिका के साथ इस तरह से टिप्पणी या व्यवहार नहीं करेगा।
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