Sexual Harassment Case: तरुण तेजपाल की याचिका पर सुनवाई टली
रेप मामले में तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल (Tarun Tejpal) की याचिका पर सुनवाई टल गई है.
रेप मामले में तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल (Tarun Tejpal) की याचिका पर सुनवाई टल गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस एल नागेश्वर राव (Justice L Nageswara Rao) ने खुद को मामले की सुनवाई से अलग किया और कहा कि 2015 में गोवा सरकार के लिए पेश हुए थे, दूसरी बेंच के पास मामले को भेजा है. अब दूसरी बेंच सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट में 24 जनवरी को इस मामले की सुनवाई होगी. तेजपाल ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) में मामले की अपील की इन-कैमरा सुनवाई की मांग की है.
तरुण तेजपाल की याचिक को हाईकोर्ट पहले खारिज कर चुका है. पत्रकार तरुण तेजपाल ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर 2013 के रेप मामले में उन्हें बरी करने के खिलाफ गोवा सरकार द्वारा दायर अपील पर इन-कैमरा में सुनवाई का अनुरोध किया था. जिसे हाईकोर्ट ने 24 नवंबर 2021 को खारिज कर दिया था.
तरुण तेजपाल की अदालत से गुहार
तरुण तेजपाल ने अदालत से कहा था कि बरी करने के आदेश के खिलाफ अपील पर पीड़िता की तरह आरोपी की भी पहचान को संरक्षित कर जरूरी है. साथ ही उन्होंने अपील के सुनवाई योग्य होने को लेकर शुरुआती आपत्ति दर्ज कराते हुए उसे खारिज करने की गुहार लगाई थी. हालांकि गोवा सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तेजपात की बंद कमरे में सुनवाई की अपील का विरोध करते हुए कहा कि देश को जानने का हक है कि पीड़िता के साथ क्या व्यवहार किया गया.
21 मई 2021 को सत्र अदालत ने तरुण तेजपात को रेप के मामले में बरी कर दिया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने नवंबर 2013 में गोवा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पंच सितारा होटल के लिफ्ट में अपनी सहकर्मी पर यौन हमला किया था. इस फैसले के खिलाफ गोवा सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की है.
तेजपाल के वकील अमित देसाई ने बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ में न्यायमूर्ति एम एस सोनक और न्यायमूर्ति एम एस जावलकर की खंडपीठ से मामले की सुनवाई बंद कमरे में करने की अपील की थी. देसाई ने कहा था कि मामले और आरोपों की संवेदनशीलता को देखते हुए सुनवाई बंद कमरे में हो.
तेजपाल के वकील ने बंद कमरे में सुनवाई के लिए पीठ के समक्ष औपचारिक आवेदन कर विचार करने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की अपील भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 378 के अनुरूप नहीं है. लेकिन जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया.