कामरेड नेता रामखेलावन सरोज का निधन

Update: 2023-09-11 10:11 GMT

लखनऊ। भाकपा (माले) के प्रतापगढ़ जिले के वरिष्ठ नेता कामरेड रामखेलावन सरोज उर्फ सूरज का लगभग अस्सी साल की उम्र में 9 सितंबर 2023 को उनके गांव पर निधन हो गया। वे मूलतः प्रतापगढ़ के रहने वाले थे। 2012 में वे लखनऊ आये और बतौर जिला कार्यालय प्रभारी की जिम्मेदारी का निर्वहन किया। उनकी याद में लेनिन पुस्तक केंद्र, लालकुआं स्थिति लखनऊ जिला कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ।

इस अवसर पर कामरेड सूरज के चित्र पर माल्यार्पण तथा पुष्पांजलि कर श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में माले के लखनऊ जिला प्रभारी का0 रमेश सिंह सेंगर, जसम उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर, माले की राज्य कमेटी सदस्य का0 राधेश्याम मौर्या, एक्टू के का0 कुमार मधुसूदन मगन, जसम के का0 कलीम खान तथा माले व निर्माण मजदूर यूनियन के का0 दुर्गेश कुमार मल्ल, का० रामसेवक रावत, का0 रमेश चन्द्र शर्मा, का0 सुग्रीव सरोज, का0 राम जीवन राना, जोखू , का0 मुरली, का0 बृज किशोर राम आदि प्रमुख थे। उनके जुझारू जीवन को लोगों ने याद किया और कहा कि कामरेड सूरज एक अनुशासित, शोषित जन के प्रति समर्पित तथा प्रतिबद्ध कम्युनिस्ट योद्धा रहे हैं। उनका जीवन कम्युनिज्म के आदर्शों का उदाहरण है। पार्टी व जनता को दी गयी उनकी सेवाएं हमेशा अविस्मरणीय रहेंगी। लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।

कामरेड सूरज का जन्म प्रतापगढ़ जिले के बाबागंज ब्लाक के भैरवपुर गांव के भूमिहीन दलित परिवार में हुआ था। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत युवावस्था में अर्जक संघ से हुई। सत्तर के दशक में गांव के ही अर्जक संघ के लोकप्रिय नेता विंदेश्वरी पटेल के नेतृत्व में मान-सम्मान, जमीन व मजदूरी के सवाल पर तीखा संघर्ष चला। उस संघर्ष में सूरज ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उनके गांव के ही मजरा शिवगढ़ तूरी में जमीन संघर्ष में 18 अक्टूबर 1977 को सामंतों की गोली लगने से विंदेश्वरी पटेल व सीताराम सरोज की शहादत हो गई।

नेताओं की शहादत के बाद वे भाकपा (माले) के संपर्क में आए और पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने। आईपीएफ व पार्टी के नेतृत्व में शहादत स्थल पर शहीद स्मारक बनाया गया, जहां हर साल 18 अक्टूबर को भाकपा (माले) के नेतृत्व में शहीद मेला आयोजित होता है। कामरेड सूरज शहीद मेला की सभा को हमेशा संबोधित करते रहे हैं। उन्होंने चंदौली, इलाहाबाद व प्रतापगढ़ में पार्टी का काम किया। बाद में वे लखनऊ के लालकुआं स्थित पार्टी जिला कार्यालय लेनिन पुस्तक केंद्र से जुड़े रहे। वे साहसी व पार्टी के बहुत ही प्रतिबद्ध साथी थे। इस साल की शुरुआत में वे स्वास्थ्य व निजी कारणों से घर पर रह रहे थे। वहीं उनका निधन हुआ।

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