कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा दिन

Update: 2022-09-08 06:13 GMT

पप्पू फरिश्ता 

नई दिल्ली (ए/नेट डेस्क)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे दिन की शुरुआत कन्याकुमारी से की। पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद पी. चिदंबरम, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य नेताओं ने कन्याकुमारी के अगस्तीस्वरम में पदयात्रा शुरू कर दी है। पार्टी इस यात्रा को व्यापक जनसंपर्क अभियान बता रही है तथा इससे संगठन को संजीवनी मिलने की उम्मीद कर रही है।

तिरंगे पर हो रहा हमला- राहुल गांधी : पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि मौजूदा समय में तिरंगे पर हमला किया जा रहा है। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने से पहले श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के स्मारक पर एक प्रार्थना सभा में शामिल हुए। यहीं पर तीन दशक पहले एक आत्मघाती हमला करके राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।

कुल 3570 किलोमीटर दूरी तय करेंगे : राहुल गांधी ने कन्याकुमारी के विवेकानंद पॉलिटेक्निक से 118 अन्य भारत यात्रियों और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ पदयात्रा की शुरुआत की। पार्टी ने राहुल समेत 119 नेताओं को भारत यात्री नाम दिया है जो कन्याकुमारी से पदयात्रा करते हुए कश्मीर तक जाएंगे। ये लोग कुल 3570 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे।

कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगी यात्रा-सोनिया : कांग्रेस ने बुधवार को कन्याकुमारी से अपनी 'भारत जोड़ोÓ यात्रा की औपचारिक शुरुआत की थी और इस मौके पर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक लिखित संदेश के माध्यम से कहा था कि यह यात्रा भारतीय राजनीति के लिए परिवर्तनकारी क्षण है तथा यह कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगी। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि मौजूदा समय में तिरंगे पर हमला किया जा रहा है।

एम के स्टालिन ने राहुल को राष्ट्र ध्वज सौंपा : राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्राÓ शुरू करने से पहले श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के स्मारक पर एक प्रार्थना सभा में शामिल हुए। यहीं पर तीन दशक पहले एक आत्मघाती हमला करके राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। पिता के स्मारक पर आयोजित प्रार्थना सभा में शामिल होने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कन्याकुमारी में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था जहां तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने उन्हें राष्ट्र ध्वज सौंपा था।

पदयात्रा 11 सितंबर को केरल पहुंचेगी : यात्रा शुरू करने से पहले राहुल गांधी कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल, तिरुवल्लुवर स्टैच्यू और कामराज मेमोरियल भी गए थे। पदयात्रा 11 सितंबर को केरल पहुंचेगी और अगले 18 दिनों तक राज्य से होते हुए 30 सितंबर को कर्नाटक पहुंचेगी, और उसके बाद उत्तर की तरफ अन्य राज्यों में जाएगी।

भारत जोड़ो यात्रा से पूरा होगा 'कांग्रेस जोड़ोÓ का मकसद

देश की राजनीति में कभी सबसे ताकतवर पार्टी रही और सबसे ज्यादा सत्ता पर काबिज रह चुकी कांग्रेस पार्टी इस वक्त भारी अंतर्कलह और बिखराव से जूझ रही है। पार्टी न तो स्थायी अध्यक्ष पद पर किसी नाम पर फैसला ले पा रही है और न ही पार्टी के पुराने वफादार नेताओं को जाने से रोक पा रही है। ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव भी नजदीक है। इस आपाधापी और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी के नेतृ्तव में भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कर दी है। पांच महीनों तक की इस यात्रा में कांग्रेस नेता 12 राज्यों का भ्रमण करते हुए कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा करेंगे। कांग्रेस की इस यात्रा का मकसद सिर्फ भाजपा को चुनौती देना नहीं खुद का अस्तित्व बचाना भी है। इस यात्रा से क्या कांग्रेस जोड़ो मकसद पूरा हो पाएगा? पार्टी के असंतुष्ट खेमे की नाराजगी दूर हो पाएगी? इसके अलावा विपक्षी दलों में खुद को साबित करने की चुनौती भी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज तमिलनाडु के कन्याकुमारी में श्रीपेरुंबदूर इलाके से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की। यह स्थान पार्टी के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी स्थान पर देश के पूर्व पीएम और राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी की हत्या हुई थी। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने इस यात्रा को दूसरा स्वतंत्रता संग्राम करार दिया है। पार्टी चीफ सोनिया गांधी ने भी इस यात्रा को ऐतिहासिक बताया और उम्मीद जताई कि 3,500 किलोमीटर की पैदल यात्रा पार्टी को फिर से जीवंत करने में मदद करेगी। कांग्रेस की यह यात्रा करीब 150 दिन तक चलेगी और 12 राज्यों का भ्रमण करते हुए कश्मीर पर समाप्त होगी। इस दौरान राहुल गांधी समेत कांग्रेसी नेता पैदल ही इस यात्रा को पूरा करेंगे। पिछले कुछ महीनों में, त्र-23 के कई नेताओं ने कांग्रेस पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की मांग की है और कांग्रेस पार्टी की बिगड़ती स्थिति और इसकी स्थितियों में सुधार करने पर अपनी राय व्यक्त की है।

अगस्त 2020 में सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में, इस खेमे ने पार्टी चलाने के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव की मांग की थी। मांग का क्या हुआ? इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि तब से गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल समेत कई दिग्गज कांग्रेसी पार्टी से राहें जुदा कर चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी की यह भारत जोड़ो यात्रा क्या रंग लाती है यह देखने वाली बात होगी।

कांग्रेस जोड़ो मकसद पूरा होगा?

कांग्रेस के लिए यह यात्रा अपने कुनबे को जोडऩे और टूट से रोकने के लिए काफी अहम है। जी-23 के प्रमुख नेता आनंद शर्मा ने भारत जोड़ी यात्रा के लिए समर्थन दिखाया है। उन्होंने ट्वीट किया, "भारत जोड़ी यात्रा भारत के समावेशी लोकतंत्र को बनाए रखने, अन्याय, असमानता और असहिष्णुता के खिलाफ लोगों को लामबंद करने का एक मिशन है। साथ ही राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की प्रतिबद्धता भी है।" आनंद शर्मा के अलावा राज बब्बर और मुकुल वासनिक भी कांग्रेस की इस यात्रा को अपना समर्थन दे चुके हैं। जी-23 ग्रुप मेंबर्स का भारत जोड़ो यात्रा को अपना समर्थन देना पार्टी के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि देखने वाली बात होगी क्या आने वाले दिनों में भी यह बरकरार रहता है?

विपक्षी नेता के तौर पर पहचान बनाने की कोशिश में राहुल गांधी

दूसरी ओर साल 2024 इलेक्शन के लिए विपक्षी दलों में सबसे बड़ी समस्या है नेता का चुनाव करना। नीतीश कुमार दिल्ली आकर विपक्षी नेताओं को एकजुट करके अपनी दावेदारी लगातार पेश कर रहे हैं। उधर, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और तेलंगाना सीएम केसीआर भी इस मामले में खुद को पीछे मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में क्या राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा से विपक्षी खेमे में खुद को बड़ा साबित कर पाएंगे? ये उनके और कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

पार्टी अध्यक्ष पर क्यों नहीं है फोकस

राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के तौर खुद को किनारा कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के नेताओं के तमाम मान-मनौव्वल के बावजूद वे अपनी ना पर अडिग हैं। राहुल गांधी ने अपना फोकस फिलहाल भारत जोड़ो यात्रा पर किया है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी कांग्रेस के बिखराव और कुनबे को संरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।

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