शराब की दुकानों के बाहर सीलिंग के नोटिस, तो कही लोग कर रहे भजन-कीर्तन, जानें पूरा माजरा
बीजेपी और कांग्रेस के हाथ में आम आदमी पार्टी के खिलाफ निगम चुनावों से पहले मुद्दा हाथ लग गया है.
नई दिल्ली: दिल्ली में शराब की नई दुकानें (Liquor shops) खोले जाने का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. विरोध करने के तरीके भी अलग-अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं. एक तरफ शराब की दुकानें खोले जाने के विरोध में भजन-कीर्तन चल रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस निगम पार्षदों द्वारा एमसीडी में दुकानों के बाहर शुलभ शौचालय बनाने का प्रस्ताव लाया जा रहा है. इतना ही नहीं, निगम पार्षद शराब की दुकानों को बंद कराने के लिए सीलिंग के नोटिस लगा रहे हैं.
यह भजन कीर्तन भगवान को प्रसन्न करने की नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के खिलाफ सरकार को नींद से जगाने के लिए हैं. दिल्ली के कृष्णानगर इलाके में शराब की दुकान खोले जाने के विरोध में लोग शराब की दुकान के बाहर ही माता की चौकी और भजन-कीर्तन कर रहे हैं, ताकि सरकार को जगाया जा सके.
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के सीलमपुर इलाके में शराब की दुकान खोले जाने के विरोध में, कांग्रेस निगम पार्षद दुकानों के बाहर टॉयलेट बनवाने के लिए प्रस्ताव सदन ला रहे हैं. कांग्रेस निगम पार्षद ने साफ कह दिया है कि उनके वार्ड में तीन शराब की दुकानें खुली जानी हैं और अगर यह शराब की दुकानें खुली गईं, तो वह इन शराब की दुकानों के बाहर सुलभ शौचालय बनवाएंगे.
पार्षद चौधरी जुबेर अहमद का कहना है की शराब की दुकानों से बाजार में आने वाली महिलाओं को परेशानी होगी लेकिन शौचालय बनने से इन्हीं महिलाओं को सुविधा होगी. उनका कहना है कि यह मुस्लिम बाहुल्य इलाका है और इस इलाके में शराब की दुकान ना तो हिंदू चाहता है कोई और ना ही कोई मुस्लिम, तो ऐसे में आम आदमी पार्टी क्यों उनके इलाके में शराब की दुकानें खुलवा रही है.
रोहिणी से बीजेपी निगम पार्षद प्रीति अग्रवाल ने तो शराब की दुकानों के बाहर सीलिंग के नोटिस लगवा दिए हैं. प्रीति अग्रवाल का मानना है कि जिन दुकानों में शराब की दुकानें खोली गई हैं उन्हें तमाम नियमों को ताक पर रखकर खोला जा रहा है, जो बिल्डिंग बायलॉज (building bye laws) को पूरा नहीं करते और ऐसे में इन पर सीलिंग का नोटिस लगाया गया है.
शराब की दुकानें खोला जाना राजनीतिक रूप लेता जा रहा है. बीजेपी और कांग्रेस के हाथ में आम आदमी पार्टी के खिलाफ निगम चुनावों से पहले मुद्दा हाथ लग गया है.