SC ने कहा- ये समानता के अधिकार के खिलाफ

Update: 2023-08-11 03:56 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को रद कर दिया, जिसमें चंडीगढ़ प्रशासन इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमों में दो प्रतिशत खेल कोटा के तहत प्रवेश पाने के लिए बारहवीं में 75 प्रतिशत अंक लाने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि खेल कोटा वालों के साथ सामान्य लोगों जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।

खेल कोटा शुरू करने SC ने क्या कहा?

जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि यह भेदभावपूर्ण था और संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार के विपरीत था। जस्टिस भट ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि खेल कोटा शुरू करने का उद्देश्य उन लोगों को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना है, जिन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और प्रतिस्पर्धी खेलों में निर्धारित दक्षता और उपलब्धि हासिल की।

शैक्षिक संस्थानों में खेल को बढ़ाने के लिए हुई इसकी शुरुआत

उन्होंने कहा कि इस कोटा की शुरुआत शैक्षिक संस्थानों में खेल और खेल कौशल को बढ़ावा देने के लिए है। फैसले में कहा गया कि राज्य किसी विशेष पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए एक निश्चित न्यूनतम पात्रता या मानदंडों को निर्धारित करने के अपने अधिकारों के तहत कार्य करता है। हालांकि, स्थिति ऐसी नहीं हो सकती, जो शैक्षणिक संस्थानों में खेलों को बढ़ावा देने की नीति की मंशा को विफल कर दे।

पीठ ने स्वीकार की अपील

पीठ ने देव गुप्ता की अपील स्वीकार कर ली, जिन्हें हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ 12वीं बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक हासिल नहीं करने के कारण खेल कोटा के तहत प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने गुप्ता की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें खेल कोटा के तहत इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश का दावा करने के लिए एक उम्मीदवार के लिए पात्रता शर्त के रूप में न्यूनतम 75 प्रतिशत कुल अंक होने पर सवाल उठाया गया था।

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