BHU में पंडित दीनदयाल उपाध्याय चेयर द्वारा 'शनिवार व्याख्यान श्रृंखला' का किया गया आयोजन
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वाराणसी। शनिवार 16 सितंबर को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संबोधि सभागर, सामाजिक विज्ञान संकाय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय चेयर द्वारा 'शनिवार व्याख्यान श्रृंखला' का आयोजन एवं सफल संचालन कराया गया। 'शनिवार व्याख्यान श्रृंखला' का पहला व्याख्यान सामाजिक विज्ञान संकाय के पूर्व डीन प्रोफेसर रजनी रंजन झा ने "समसामयिक राजनीतिक परिदृश्य में पंडित दीन दयाल उपाध्याय के विचारों को प्रासंगिक बनाना" विषय पर विचार दिया। भारत सरकार और राजनीति के विशेषज्ञ प्रो. झा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर बोलते हुए उल्लेख किया कि ब्रिटिश शासन के दौरान एक राष्ट्र की पहचान कैसे समाप्त हो गई। वहीं दूसरी ओर, पंडित मदन मोहन मालवीय, महात्मा गांधी आदि जैसे लोगों का उदय हुआ, जिन्होंने भारतीय सभ्यता और संस्कृति के बारे में बात की और इसकी भावना को जीवित रखा। प्रो. झा ने 20वीं सदी की शुरुआत में प्रो. पॉल आर ब्रास के राष्ट्रवाद के तीन रूपों को भी उद्धृत किया, अर्थात् वाराणसी में हिंदू राष्ट्रवाद, अलीगढ़ में मुस्लिम राष्ट्रवाद और इलाहाबाद में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवाद।
तीसरा महत्वपूर्ण रुख रूसी क्रांति और उसका भारतीय राजनीति पर प्रभाव था। चौथा महत्वपूर्ण चरण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जन्म था। प्रोफेसर झा के अनुसार, दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित 'धर्म' के अनुसार जीवन जीने से हमारे दैनिक जीवन में सद्भाव, प्रगति और शांति आएगी। भारतीय राजनीतिक चिंतन के एक अन्य विशेषज्ञ प्रो. आर.पी. पाठक ने अपनी बौद्धिक टिप्पणियां जोड़ीं और प्रो. झा के भाषण के बाद श्रोताओं के साथ बातचीत की। राजनीति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर सोनाली सिंह ने औपचारिकता (कथन और कार्य के बीच की दूरी) और यथार्थवाद के बारे में बताया। उनके अनुसार समसामयिक राजनीतिक परिदृश्य में औपचारिकता अधिक हावी है। विशेष व्याख्यान की अध्यक्षता आई.आई.टी बीएचयू के पूर्व निदेशक प्रोफेसर एस.एन. उपाध्याय ने की। अपने विशेष संबोधन में प्रो.उपाध्याय ने महाभारत और रामायण के कुछ उदाहरण उद्धृत किये और उन्हें पंडित जी के विचारों से जोड़ा। प्रॉफ. उपाध्याय जी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा प्रतिपादित मौलिक सिद्धांतों के ऊपर प्रकाश डाला। पंडित दीनदयाल उपाध्याय कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. बिंदा परांजपे ने की। कार्यक्रम को विभिन्न विभागों के शिक्षण संकाय, प्रोफेसर अमरनाथ मोहंती, प्रोफेसर मनोज मिश्रा, प्रो. अभिनव शर्मा जैसे वरिष्ठ प्रोफेसरों की गरिमामय उपस्थिति से सफल बनाया गया। विभिन्न विषयों के छात्रों ने कार्यक्रम को जीवंतता प्रदान की। व्याख्यान के संयोजक एवं 'शनिवार व्याख्यान श्रृंखला' की पहल करने वाले प्रोफेसर टी.पी. सिंह ने सभी वक्ताओं और गणमान्य व्यक्तियों को उनके योगदान और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।