बीज और जूट से आभूषण बनाकर संगीता ने पाई प्रसिद्धि, 15 महिलाओं को दिया रोजगार

कहा जाता है कि कठिन रास्तों से कभी ना घबराएं, क्योंकि कठिन रास्ते हमेशा खूबसूरत मंजिल की ओर लेकर जाते हैं।

Update: 2023-08-20 05:45 GMT
जमुई: कहा जाता है कि कठिन रास्तों से कभी ना घबराएं, क्योंकि कठिन रास्ते हमेशा खूबसूरत मंजिल की ओर लेकर जाते हैं। अगर दृढ़ निश्चय हो और समर्पण भाव से किसी भी काम में लगा जाए तो मंजिल पाना मुश्किल नहीं है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जमुई के एक छोटे से गांव की रहने वाली महिला संगीता देवी ने।
संगीता देवी ने सभी समस्याओं से लड़ते हुए आगे आकर आज खुद न केवल आत्मनिर्भर बनी बल्कि गांव की 15 से 18 महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध करा रही हैं। जमुई के खैरा प्रखंड के प्रधानचक गांव की रहने वाली संगीता देवी का परिवार करीब दस साल पहले रोजी रोजगार के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था। इस दौरान उनका परिवार पटना पहुंच गया। उनके पति ने कई छोटी-छोटी नौकरियां की, लेकिन समस्याएं आती रही। इसी जद्दोजहद में संगीता ने जूट और बीज से आभूषण तैयार करने का फैसला लिया।
इस दौरान उन्होंने इससे गहने बनाने का प्रशिक्षण लिया। अभी वह इस कार्य में दक्ष हो ही रही थी कि पारिवारिक कारणों से इन्हें पटना छोड़ना पड़ा और वापस गांव लौट गई। लेकिन जीवट, संगीता ने हार नहीं मानी। गांव पहुंचते ही संगीता ने मोर्चा संभाला। जूट के आभूषण बनाने में प्रशिक्षित होने के बाद, उन्होंने एक रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाया और पौधों के बीजों का उपयोग कर पर्यावरण अनुकूल आभूषण तैयार करने में अपनी प्रतिभा का उपयोग किया।
आईएएनएस को संगीता बताती हैं कि स्थानीय रूप से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध पौधों जैसे कि शिवलिंग, सिन्दूर, पितौंझी, वैजयंती और अशोक से प्राप्त बीजों का उपयोग कर आभूषण तैयार करती हैं, जिसमें जूट के कपड़ों का प्रयोग किया जाता है। इन गहनों ने स्थानीय बाजार में उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। आज संगीता खुद तो आत्मनिर्भर हैं ही, अन्य 15 से 18 महिलाएं भी उनके यहां इस काम में लगी हैं।
उन्होंने बताया कि इन आभूषणों की कीमत 20 रुपये से 1,000 रुपये तक होती है, जो इन्हें सभी के लिए किफायती बनाती है। उन्होंने बताया कि ये आभूषण न केवल पारंपरिक आभूषणों से अलग प्रकृति के अनुकूल हैं बल्कि अपराधी भी इन आभूषणों को निशाना नहीं बनाते। दूसरी तरफ ये आभूषण खूबसूरत भी दिखते हैं।
संगीता बताती हैं कि इन दिनों बरसात के मौसम में खेती के काम की व्यस्तता के कारण आभूषण बनाने का काम कुछ कम हुआ है। संगीता ने आईएएनएस को बताया कि कुछ सामान कोलकाता से मंगवाना पड़ता है। इसमें पति का काफी सहयोग रहता है। जूट और बीज से बने गहने की खासियत यह है कि इसमें कई प्रकार के बीज इस्तेमाल में लाए जाते हैं। गहनों के इस्तेमाल के बाद उसे उतार कर फेंक भी दिया जाए तो उन बीजों से पौधे निकल आएंगे। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है।
संगीता देवी का गूगल, कोका कोला, नेशनल इंश्योरेंस, रोल्स रॉयस और आइडिया जैसी कंपनियों द्वारा प्रायोजित जागृति यात्रा के लिए चयन किया गया है। संगीता ने बताया कि 15 राज्यों में उसके पर्यावरण अनुकूल आभूषणों की प्रदर्शनियां आयोजित की गई हैं। 25 पौधों के आभूषणों की विविध रेंज उपलब्ध होने के कारण, उन्हें बाजार से लगातार ऑर्डर मिलते हैं।
गांव की महिलाओं को भी संगीता पर गर्व है। गांव की बेबी देवी कहती हैं कि घर के सभी काम करने के बाद मनोरंजन के तौर पर मैने इस काम को अपनाया। आज इस काम से अच्छी आमदनी हो जा रही है। वे कहती हैं कि इस गांव को लोग संगीता के कारण पहचानने लगे हैं। संगीता के पति अधिक कुमार सिंह भी संगीता की तारीफ करते हुए कहते हैं कि आज संगीता के कारण मुझे भी पहचान मिली है।
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