बहादुरी को सलाम: तेंदुए के मुंह से निकलकर 70 साल के बुजुर्ग ने इस तरह से बचाई अपनी जान

वैसे तो बहादुरी का उम्र से कोई नाता नहीं होता है लेकिन जब कोई बुजुर्ग या फिर कम उम्र का व्यक्ति बहादुरी भरा कारनामा कर देता है.

Update: 2021-07-11 09:40 GMT

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वैसे तो बहादुरी का उम्र से कोई नाता नहीं होता है लेकिन जब कोई बुजुर्ग या फिर कम उम्र का व्यक्ति बहादुरी भरा कारनामा कर देता है तो हैरानी जरूर होती है। इंदौर में ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला। जब 70 साल के चरवाहे ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए तेंदुए के हमले को बेकार कर दिया। घटना इंदौर के पोहरी नगर के शिवपुरी इलाके की है। शनिवार शाम 5 बजे 70 वर्षीय कोमल प्रसाद बघेल पोहरी के पास जंगल में भैंसों के लिए चराने के लिए गए थे तभी अचानक तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया।

अमूमन ऐसी स्थितियों में लोग बचने का प्रयास छोड़ते हुए खुद को जंगली जानवरों के हवाले कर देते हैं लेकिन 70 साल के कोमल प्रसाद ने हार नहीं मानी। जब तेंदुए ने उन्हें पटक दिया तो उन्होंने घबराने के बजाय संघर्ष करने का निर्णय लिया। तेंदुए ने गर्दन पर झपट्टा मारा तो कोमल प्रसाद ने एक हाथ से तेंदुए का मुंह और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन पकड़ ली। और अपनी पूरी ताकत से चिल्लाना शुरू कर दिया। कोमल प्रसाद की आवाज सुनकर वहां मौजूद आदिवासी पहुंचे और शोरगुल कर तेंदुए को वहां से भगा दिया। चरवाहा लहूलुहान जरूर हो गया लेकिन उसकी जान बच गई। ग्रामीणों ने तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी, मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम घायल कोमल प्रसाद को अस्पताल लेकर गई।
ऐसा ही एक नजारा कुछ सालों पहले महाराष्ट्र के चंद्रपुर में दिखा था, जब एक जंगल का दौरा करने गए वन विभाग के अधिकारियों पर एक तेंदुए ने हमला कर दिया था। इस हमले में तेंदुए का आमना सामना एक ऐसे वन विभाग के कर्मचारी के साथ हो गया था जो बिना हथियार के था। काफी देर तक चले संघर्ष के बाद वन विभाग के लोगों ने तेंदुए को कब्जे में ले लिया था और उसका उपचार किया था।
जंगल में पाए जाने वाले जानवर अक्सर इंसानों को देखते ही हमलावर हो जाते हैं, ज्यादातर मामलों में जानवर सिर्फ खुद की रक्षा करना चाहते हैं न कि किसी को मारने की साजिश। ऐसे में यदि थोड़ी बहुत सूझ बूझ दिखाई जाए तो जान बचाई जा सकती है।
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