राजस्थान। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गुरुवार को अजमेर दौरे पर होंगे. वह अजमेर से जयपुर तक अपनी पांच दिवसीय जनसंघर्ष पदयात्रा शुरू करेंगे. उनकी इस पांच दिवसीय पदयात्रा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ चल रही राजनीतिक तनातनी के अंत के तौर पर देखा जा रहा है. पायलट और गहलोत के बीच संबंध पहले से ही खटास भरे रहे हैं. दोनों के बीच 2018 से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान रही है. दोनों ही नेता कई मौकों पर सार्वजनिक तौर पर एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए भी नजर आए.
सचिन पायलट ने जयपुर में अपने आधिकारिक आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि उन्हें लगता है कि अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे हैं. उनका यह बयान गहलोत की उस टिप्पणी के बाद आया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि वसुंधरा बीजेपी के उन तीन विधायकों में से एक थी, जिन्होंने उनकी सरकार को बचाया था. इसके बाद सचिन पायलट ने कहा था कि यह स्पष्ट है कि सोनिया गांधी गहलोत की नेता नहीं है. यह स्पष्ट है कि वसुंधरा राजे गहलोत की नेता हैं. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं और मेरे सहकर्मी नेतृत्व बदलना चाहते हैं. हमने इस संबंध में अपनी इच्छा जता दी है. एक समिति का गठन किया गया था. दिवंगत नेता अहमद पटेल भी इस समिति का हिस्सा थे.
यह यात्रा अजमेर से जयपुर तक 125 किलोमीटर की होगी. यात्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ होगी. यात्रा के बाद ही किसी तरह का राजनीतिक फैसला लिया जाएगा. सचिन पायलट के इस ऐलान से साफ हो गया कि पदयात्रा कर सूबे के सियासी नब्ज की थाह लेंगे और उसके बाद ही किसी तरह का राजनीतिक कदम उठाएंगे?