S Jaishankar : रूस ने सेना में शामिल भारतीयों पर दी सफाई

Update: 2024-08-11 05:24 GMT
 रूसी सेना Russian Army  : रूसी सेना की तरफ से यूक्रेन में युद्ध लड़ रहे भारतीयों को लेकर नया बयान आया है। रूसी दूतावास ने कहा है सभी भारतीय स्वेच्छा से रूसी की सेना में शामिल हुए थे। इन लोगों की पहचान करने और उन्हें वापस भारत भेजने का काम तेजी से किया जा रहा है। रूसी दूतावास ने दौरान भारतीयों के हताहत होने की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर शोक जताया और कहा कि अप्रैल से ही उसके सशस्त्र बलों में भारतीयों की भर्ती बंद कर दी गई है। इससे पहले भारतीय 
Foreign Minister
 विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारतीयों को विदेश में अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखे से ले जाया गया। इसके बाद उन्हें रूस की सेना में युद्ध लड़ने के लिए झोंक दिया गया। जयशंकर ने कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत किसी का पक्षधर नहीं है।
एक बयान में दूतावास ने कहा कि मॉस्को और नयी दिल्ली उन भारतीय नागरिकों की शीघ्र पहचान और सेवा से मुक्ति के लिए काम कर रहे हैं, जो स्वेच्छा से सैन्य सेवा में संविदात्मक कार्य में शामिल हुए थे और अब घर लौटना चाहते हैं। बयान में यह भी कहा गया है कि कांट्रैक्ट की सभी शर्तों को पूरा किया जाएगा और इन्हें पूरा मुआवजा भी दिया जाएगा। रूसी दूतावास के बयान में कहा गया है कि इस साल अप्रैल से रूसी
रक्षा मंत्रालय
ने भारत सहित कई अन्य देशों के नागरिकों को सैन्य सेवा में Recruitment भर्ती करना बंद कर दिया है। उसने कहा कि रूसी सेना इस तरह के किसी अभियान का हिस्सा नहीं है, जिसमें दूसरे देश के लोगों को वहां पर नौकरी देने की बात कही गई है। इस तरह के अभियान जालसाजी हो सकते हैं।
भारतीय विदेश मंत्री S Jaishankar एस जयशंकर ने भी अपने बयान में कहा कि सीबीआई इस तरह के मामलों की जांच कर रही है। जांच में कुछ मानव तस्करों के शामिल होने की जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक भारतीयों को यह कहकर गुमराह किया गया कि उन्हें विदेश में अच्छी नौकरी दिलाई जाएगी। इसके बाद उन्हें ले जाकर रूस की सेना में भर्ती कर दिया गया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि कुल 91 भारतीयों की रूस की सेना में नियुक्ति हुई थी। इनमें से आठ लोगों की अभी तक मौत हो चुकी है। अन्य 14 लोग या तो सेना द्वारा मुक्त कर दिए गए या किसी अन्य मदद से भारत लौटने में सफल रहे। विदेश मंत्री के मुताबिक फिलहाल कुल 69 भारतीय नागरिक रूसी सेना द्वारा सेवा से मुक्त किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। पिछले महीने रूस के दौरे पर गए पीएम मोदी ने भी प्रेसीडेंट पुतिन के साथ मुलाकात में इस मुद्दे को उठाया था।
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